Saturday, November 25, 2023

संत छंद 'निश्चय"

 संत छंद

  'निश्चय"


हुई भोर नयी, आओ स्वागत करलें।

चलो साथ बढ़ें, नव ऊर्जा हिय भरलें।।

खिली धूप धवल, कहाँ तिमिर अब गहरा।

रुचिर पुष्प खिले, बाग रहा है लहरा।।


करें कार्य वही, जिससे निज मन सरसे।

बनें निपुण सदा, उत्सुकता हिय बरसे।।

नया जोश जगा, नव राहें हम गढलें।

प्रबल भाव भरें, प्रगति शिखर पर चढ़ लें।।


सदा धैर्य रखें, धार शांति निज मन में।

रहें सदा सजग, ढूँढें गुण हर जन में।।

अटल होय बढ़ें, निडर बनें, हम दमकें।

बढ़े कार्य लगन, शौर्य भाव रख चमकें।।


उच्च भाव रहे, ऊँचे देखें सपने।

अडिग खड़े रहें, हम जीवन में तपने।।

सुगम पंथ चुनें, निश्चय भाव प्रबल हों।

चलो साथ चलें, निष्ठा अजय सबल हों।।


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संत छंद विधान-


संत छंद 21 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।

यह 9 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है।  दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।


इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

3 6, 6 6


छक्कल की संभावित संभावनाएं-

(3+3 या 4+2 या 2+4) हो सकते हैं।


चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु अंत में  112 (सगण) अनिवार्य है। 

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

Friday, November 24, 2023

मुक्तक, माँ

 "पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि"

कोई प्यारा जब दुनिया को, छोड़ अचानक जाता है।

टीस हृदय में रह रह उठती, याद वही बस आता है।

कैसे भूलूँ उन लम्हों को, साथ बिताये जो हमने,

तुमको खोना हद से ज्यादा, यार मुझे तड़पाता है।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


मुक्तक, माँ'

 पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

माँ तेरी सूरत आँखों से, ओझल हो ना पाती है।

नहीं एक दिन ऐसा जिस दिन, याद न तेरी आती है।

तीन बरस यूँ बीते तुम बिन, जैसे सदियाँ बीत गयी,

मेरी भीगी आँखों को भी, याद तुम्हारी भाती है।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

मुक्तक ' माँ'

 पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि


जब कोई तस्वीर पुरानी, हाथ मेरे लग जाती है।

माँ तेरी सूरत सुंदर सी, हँसकर मुझे लुभाती है।

सुख-दुख का कुछ मिला जुला सा, असर हृदय में जब होता।

चुपके से मेरा मन फिर से, आँचल में तेरे खोता।

मेरे बालों को उँगली से, जैसे तुम सहलाती हो।

सच पूछो तो माँ तुम मुझको, याद बहुत ही आती हो।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

  

मुक्तक 'दोस्त'

 "पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि"

कोई प्यारा जब दुनिया को, छोड़ अचानक जाता है।

टीस हृदय में रह रह उठती, याद वही बस आता है।

कैसे भूलूँ उन लम्हों को, साथ बिताये जो हमने,

तुमको खोना हद से ज्यादा, यार मुझे तड़पाता है।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


Thursday, November 23, 2023

मुक्तक, माँ

 माँ तेरी सूरत आँखों से, ओझल हो ना पाती है।

नहीं एक दिन ऐसा जिस दिन, याद न तेरी आती है।

तीन बरस यूँ बीते तुम बिन, जैसे सदियाँ बीत गयी,

मेरी भीगी आँखों को भी, याद तुम्हारी भाती है।।

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