Friday, November 24, 2023

मुक्तक, माँ'

 पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

माँ तेरी सूरत आँखों से, ओझल हो ना पाती है।

नहीं एक दिन ऐसा जिस दिन, याद न तेरी आती है।

तीन बरस यूँ बीते तुम बिन, जैसे सदियाँ बीत गयी,

मेरी भीगी आँखों को भी, याद तुम्हारी भाती है।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

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