पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
जब कोई तस्वीर पुरानी, हाथ मेरे लग जाती है।
माँ तेरी सूरत सुंदर सी, हँसकर मुझे लुभाती है।
सुख-दुख का कुछ मिला जुला सा, असर हृदय में जब होता।
चुपके से मेरा मन फिर से, आँचल में तेरे खोता।
मेरे बालों को उँगली से, जैसे तुम सहलाती हो।
सच पूछो तो माँ तुम मुझको, याद बहुत ही आती हो।।
शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
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