Friday, June 14, 2019

मुक्त कविता, 'एकता'

एकता विश्वास  है,
संगठन की साँस है,
एकता में ताकत है,
अजेय वो विरासत है।

एकता ही धर्म है,
आस्तिकों का मर्म है,
एकता वो ज्योति है,
जो आशा के बीज बोती है।

एकता से बूँद सागर बनती है,
एकता से चट्टान हिलती है,
एकता कमजोर की शक्ति है,
मानो तो बस यही भक्ति है।

एकता से प्रकृति व्याप्त है,
समझो यह गूढ़ पर्याप्त है,
एकता हवाओं की गति है,
रोशनी तारों की टिमटिमाती है।

एकता से सरगम बनती है,
गीतों का रूप रचती है,
एकता से पायल छनकती है,
फूलों की क्यारी खिलती है।

एकता ध्वनि तरंग है,
चित्रकला का रंग है,
एकता की बूँदें सागर है,
शब्दों का यह गागर है।

एकता विश्व शक्ति है,
ईश्वर के प्रति आसक्ति है,
एकता विद्या की शाला है,
जीवन की पाठशाला है।

एकता संसार के पहिए है,
सोना, चाँदी, रुपये है,
एकता विकास की मीनार है,
सपनों का यह संसार है।

एकता से दुनिया चलती है,
साथ से आगे बढ़ती है,
एकता में प्रेम समाया है,
इसलिए
जीवन हमने यह पाया है।

सुचिता अग्रवाल 'सुचिसंदीप'
तिनसुकिया(असम)

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