काव्यमेध समीक्षा


विषय :- आदरणीय डा. सुचिता संदीप "सुचि" जी का काव्यमेध
विधा :- समीक्षा

        बहुत ही सुन्दर , आकर्षक तथा मनमोहक मुख्य पृष्ट के साथ साहित्य संगम संस्थान के तत्वाधान में आदरणीय राज वीर सिंह "मंत्र" जी की अध्यक्षता में और आदरणीय कैलाश मंडलोई "कदंब" जी ( उनके सहयोगियों के साथ) के सम्पादकीय में सम्पादित "काव्यमेध" विश्व के साहित्य पटल पर अपनी अनुपम छाप छोड़ काव्यमेध से जुड़े सभी साहित्यकारों को गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान करता हुआ । आज आदरणीया डा. सुचिता अग्रवाल " सुचिसंदीप" जी के काव्यमेध की समीक्षा का अवसर प्राप्त हुआ , जो की बहुत ही आकर्षक मुख्यपृष्ट पर संलग्न सुन्दर आकर्षक फोटो के साथ इस काव्यमेध की शुरुवात किसी को भी अपनी आकर्षित कर मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी है । मुख्य पृष्ट के बाद संपादक मण्डल , सम्पादक, तथा सह सपादकों के नाम की सूचि भी बहुत ही सुन्दर तथा आकर्षक रूप में सुसज्जित प्रस्तुति , उतने सुन्दर तथा सुसज्जित रूप में अनुक्रमणिका की प्रस्तुति । अनुक्रमणिका के पश्चात अगले पृष्ट पर माननीय अध्यक्ष महोदय आदरणीय राज वीर सिंह "मंत्र" जी का सुन्दर एवं सार्गर्भित संबोधन , बहुत खूब आदरणीया तत्पश्चात अगले पृष्ट पर प्रधान संम्पादक आदरणीय "कदंब" के द्वारा काव्यमेध की , महत्ता पर प्रकाश डालते हुए काव्यमेध की आवश्यकता तथा हिन्दी साहित्य के विकास में काव्यमेध के द्वारा किये जा रहे योगदान की विस्तृत व्याख्या , विश्व हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में हिन्दी के पुन: विकास और उसके उत्थान पर बल देते हुए वर्तमान में काव्यमेध की आवश्यकता की विस्तृत विवेचना की गयी है । बहुत सुन्दर आदरणीय हिन्दी साहित्य के प्रति आपकी समर्पण भावना वाकई काबिले तारीफ है और आपके भावों में देखते ही बनती है , इस हेतु आपको कोटिश: प्रणाम करता हुँ ।
   पृष्ट ६ पर आदरणीया डा. सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप" जी का बहुत ही सुन्दर तथा शानदार अनेकों उपलब्धियों से भरा गौरवमयी साहित्यिक जीवन परिचय जो इस काव्यमेध पर चार चाँद लगाने में काफी है और उनकी साहित्यिक जीवन के सफर और उपलब्धियां भी उनके चरित्र की महत्ता को बखूबी चित्रित कर रही हैं ।
      अगले पृष्ट पर माँ शारदे की सुन्दर भाव पूर्ण रचना से बहुत सुन्दर शुरुवात करते हुए माँ शारदे की स्तुति करती हुई बहुत सुन्दर रचना ।
       तत्पचात "श्री मद् भागवत गीता " शीर्षक से अवतरित अगली रचना , बहुत ही सुन्दर तथा शिक्षाप्रद रचना , जिसमें महाभारत के दौरान भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के मध्य हुए वार्तालाप का बहुत सुन्दर तरीके महिमा मण्डन किया गया है ।
        अगली रचना "श्रीकृष्ण बाललीला" शीर्षक के साथ भगवान श्रीकृष्ण की एक-एक बाल लीलाओं का बहुत सुन्दर बखान करती हुई रचना , जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है , बहुत खूब आदरणीया ।👌👌🙏🌹🙏
     इसके बाद अगली रचना "उठ भौर हुई" नाम से प्रस्तुत ये भी बहुत ही सुन्दर रचना जो सूर्योदय से पहले प्रात:काल के एक-एक छण तथा पहलु का सुन्दर वर्णन करती हुई जीवन को सुखमय , आनन्दित व निरोगी बनाने की शिक्षा प्रदान करती हुई बहुत सुन्दर प्रस्तुति।🙏🌹🙏
         तत्पश्चात काव्यमेध में सम्मिलित अगली रचना "होली गीत " के रूप में प्रस्तुत की गयी है । भारतीय हिन्दु संस्कृति में होली का अपना अलग ही एक महत्व है , होली रंगों के त्यौवहार के रूप में मनाया जाता है और रंगों का भी मानव जीवन से बहुत ही गहरा नाता है , अगर मानव जीवन में रंगों का आभाव होने लगे तो वो बदरंग हो जाती है । परन्तु आजकल लोगों ने अपनी गंदी सोच व गलत इरादों से इस पवित्र त्यौवहार को भी गंदा कर दिया है । अपनी सुन्दर रचना के माध्यम से होली के त्यौवहार के मानव जीवन में विभिन्न प्रकार से महत्व का बूखबी बखान किया गया है । बहुत सुन्दर ।👌👌💐💐
     अगली रचना "अतिथि देव " के रूप मे प्रस्तुत की गयी है । हमारे देश में प्राचीन काल से "अतिथि देवो भव:"  की परम्परा विद्यमान है । हमारे घरों में अपने खाने को कुछ हो न हो मगर मेहमानों की खातिर दारी में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाती है , भगवान की तरह ही उसका अतिथि सत्कार किया जाता है । मगर कभी -२ कुछ अतिथि लोग एसे होते हैं की उनको कोई लाज-शर्म नहीं होती , उनको इस बात से कोई सरोकार नहीं होता की जिनके घर वो अतिथि बनकर गये हैं उनकी दशा कैसी है , कितने दिनों तक वो उनको अतिथि सत्कार दे सकते हैं , ये सब सोचने समझने के बजाय वो अपने में हीं मस्त रहते हैं , तो मेरे हिसाब से ऐसे अतिथियों समय रहते सबक भी सिखाना पड़ता है अन्यथा वो बेशर्मों की तरह रहने , खाने -पीने , और व्यवहार करने में हिचकिचाते भी नहीं , यहाँ तक की तुम्हारे घर में तुम्हारी ही बुराई करते फिरेंगे । बहुत खूब , ब हुत सुन्दर , सत्यता पर प्रकाश डालती रचना आदरणीया ।
        अगली रचना "नाम महिमा" शीर्षक के रूप में मनुष्य जीवन प्रभु नाम की महिमा के महत्व पर प्रकाश डालने का सुन्दर प्रयास , की मन ही मन प्रभु के नाम का जाप करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं , और मन को शुकून मिलने लगता है ।
          तत्पश्चात अगली रचना "राम अयोध्या बाट जोहती" शीर्षक के रूप में प्रस्तुत की गयी है जिसके माध्यम से माँ का अपने बच्चों लगाव को व्यक्त करने का बखूबी प्रयास किया गया है , रचना में एक माँ की चिन्ता को दर्शाने का बहुत सुन्दर प्रयास किया गया ,
     तत्पश्चात कुछ असामाजिक लोगों पर कटाक्ष करती हुई और , जीवन को आसान और सरल बनाने की राह सुझाती हुई बहुत सुन्दर गजल ।
   तत्पश्चात एक और सुन्दर गजल "प्रतिरोध" शीर्षक के रूप में सम्मिलित बहुत ही सुन्दर तथा लाजबाब गजल ।
      इसके उपरान्त "इज्जत" शीर्षक से प्रस्तुत रचना , बहुत सुन्दर , सभी को प्रेरित करता हुआ शिक्षाप्रद सृजन , हम सभी को सभी की इज्जत करनी चाहिए और सभी को इसकी ओर प्रेरित भी करना चाहिए , यदि हम ओरों को इज्जत देंगे तो हमें मुफ्त में इज्जत प्राप्त होगी , और सभी के दिलों में सद् भावना का महौल पनपने लगेगा जो सभी के लिए हितकारी होगा। बहुत सुन्दर रचना आदरणीय ।
          तत्पश्चात गीत के माध्यम से बहुत सुन्दर प्रस्तुति "तुम चले आओ " बहुत सुन्दर गीत ।
      अगली रचना "नील गगन के तले उभर कर "  बहुत ही सुन्दर रचना , सभी में जिन्दगी जीने की सोच , नई उमंग जगा सभी में एक नया जोश भरती सभी को यी दिशा कीओर ले जाती प्रेरक व शिक्षाप्रद रचना , बहुत सुन्दर प्रस्तुति । "नील गगन के तले उभर कर, एक नई सुबह फिर आई है " बहुत सुन्दर रचना ।
   अगली रचना "बेटी " शीर्षक पर आधारित पिरामिड छंद के रूप में बेटी की हमारे जीवन में उपयोगिता और महत्व पर प्रकाश डालती हुई रचना । सच में बेटी के बिना घर घर सा नहीं लगता , बेटी को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है , और बेटी के आने से घर स्वर्ग से भी सुन्दर लगने लगता है । बेटी की महत्ता का सुन्दर बखान करती हुई रचना , गागर में सागर भरने का प्रयास । बहुत सुन्दर ।
        अगली खूबसूरत रचना "जीवन पथ" के रूप में अपने आप में बहुत ही सुन्दर , शानदार , बेहतरीन रचना , बहुत खूब आदरणीया ।👌👌🙏🌹🙏
           तत्पश्चात "भारतीये नारी के डायरी के पन्ने" शीर्षक के रूप में प्रस्तुत रचना बहुत सुन्दर , पूरे सप्ताह भर के कार्यक्रमों , जिम्मेदारियों का निर्वहन , रोजमर्रा की भागम-भाग साथ ही सबकी मन-पसंद का खयाल , सुबह से लेकर शाम तक के पूरे सप्ताह भर के क्रिया-कलापों को भाव रूप में अपने लेखनी के द्वारा शब्दों में पिरोकर संग्रहित कर एक रचना स्वरूप प्रदान कर बहुत सुन्दर रचना , किस प्रकार एक गृहिणी किस प्रकार बिना थके-रुके पनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करती है और इस सबके प्रति वह कितनी चिन्तित रहती है परन्तु फिर भी उसके माथे पर रत्ती भर भी शिकन नहीं होती है । इन भावों को शब्दों में पिरोकर रचना के रूप प्रस्तुति बहुत सुन्दर लाजबाब ।
          अंत में बहुत ही सुन्दर , आकर्षक , मंत्रमुग्ध कर देने वाला काव्यमेध सम्मान । काव्यमेध सम्मान प्राप्ति हेतु तहेदिल से आपको बहुत-२ हार्दिक शुभकामनाएं एवं मुबारकबाद । आपकी हर रचना अपने आप में बहुत ही लाजबाब , शानदार , प्रेरक , तथा शिक्षाप्रद एवं कला पक्ष तथा भाव पक्ष परिपूर्ण काव्यमेध । बहुत सुन्दर , बहुत खूब , लाजबाब सृजन हेतु पुन: आपको बहुत-२ बधाईयां । साथ ही साहित्य संगम संस्थान व संस्थान के प्रशासक मण्डल के सभी विद्वत जनों का  काव्यमेध के रूप में सभी रचनाकारों को इस काव्यमेध में अपनी रचनाओं को जीवंत रूप प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करने हेतु तहेदिल से बहुत-२  हार्दिक सादर आभार धन्यववाद एवं मुबारकबाद ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

        हरीश बिष्ट
रानीखेत ।। उत्तराखण्ड ।।

[7/6, 15:56] Suchisandeep: विषय--काव्यमेध --सुचिता संदीप
विधा--समीक्षा

पहले आपको बहुत बहुत बधाई
दूंगी,इतनी सुन्दर रचनाओं के लिए । काव्यमेध वाकई में बहुत
ही सुन्दर है पढ़ कर मन खुश हुआ।   *श्रीलाल कृष्ण लीला* बहुत प्यारी है। *उठ भोर भई* चिड़िया चहके। सच में सुबह जब चिड़िया चहकती है,तो भोर का आनंद ही कुछ और होता है।
*होली गीत* के नाम से मन नाचने लगता है।  *अतिथि देव*
क्या खूब लिखा है आपने। आज
कल तो यही हालत हो जाती है।
*नाम महिमा* नाम की महिमा
से बढ़कर भला और क्या हो सकता है। बहुत सुन्दर लिखा है
आपने। *गजल*  गजल मुझे लिखनी नही आती। पर गजल गाने में और सुनने में बहुत अच्छी
लगती है। *प्यार का तुमने दिया सिला मुझको कुछ भी नही*। वाह  क्या बात है। *इज्जत* बिल्कुल  सही लिखा आपने इज्जत देने से ही इज्जत मिलती है। *चले आओ* बहुत सुन्दर
संदेश भरा है रचना में। किसी को
सहारा देना अति उत्तम विचार ।
*नील गगन के तले उभर कर फिर आई है।* वाह क्या बात है।
*कलकल सरिता निशदिन बहती* *मंजिल पथ पर   नित अनवरत*। *माँ शारदे वंदना*
माँ शारदे की कृपा तो आप पर
अनवरत बरस रही है।  *भारतीय नारीकी डायरी के पन्ने* बिल्कुल भागमभाग 😃
*श्री मद्भगवत गीता* बहुत सुन्दर विषय है गीता। अगर हम
अपने जीवन में थोड़ा भी उतारलें तो कल्याण हो जाये। *जीवन पथ* *प्रतिरोध* *राम अयोध्या बाट जोहती* सारी
रचनायें एक से बढ़कर एक है।
आप इसी तरह लिखती रहिये,
हम आपसे कुछ सीख सकें।
बहुत बहुत बधाई 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐


इन्दू शर्मा शचि
तिनसुकिया असम
[7/6, 17:33] Suchisandeep: काव्यमेध
डॉ. सुचिता अग्रवाल 'सुचिसंदीप' जी का काव्यमेध भी बहुत आकर्षक रंग तथा सजावट से सुशोभित किया हैं.
संपादन एवं संचालन भी बहुत बढियां हैं .
अब देखते हैं इनकी कविताएँ
1.माँ शारदा स्तुति में कहती हैं मन भांव दिये तुमने ,लेखन शक्ति हमें देना , बहुत सुंदर स्तुति
2. श्रीमद्भगवत गीता में अर्जुन के मन की दोलायमान स्थिति और श्रीकृष्ण के उपदेश का  बहुत सुंदर शब्दों में काव्य रचना की हैं.
3. श्रीकृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन कर मन भांव देती  रचना
4. उठ भोर हुई में मानव को नींद से जगाकर श्रुष्टि में भोर समय की हलचलों का वर्णन बहुत सुन्दरता से किया हैं.
5. होली गीत में होली का महत्व तथा
6. अतिथि देव में अकस्मात अतिथि आने से गृहिणी परेशानियों का वर्णन व्यंगात्मक तरीके से सहजता से बताया हैं.
7. ईश्वर के सानिध्य और खुद के उद्धार की रचना
8. राम अयोध्या बांट जोहती में राम वियोग से अयोध्या नगरी कैसे प्रवाभित हुई उस का वर्णन
9. ग़ज़ल में जिंदगी में जिंदगी जैसा मिला कुछ नहीं, एक यथार्थ वर्णन किया हैं.
10. ग़ज़ल प्रतिरोध में आज के समाज में फैली हुई विकृत मानसिकता का सुंदर वर्णन है.
11. अपनापन क्या होता हैं उसे कैसे इज्जत से कमाना , वाह्ह
12. चले आओ में बेसहारा को सहरा देने के सुख का वर्णन है.
13. नील गगन के तले में सृष्टि का मुक्त हस्त वरदान जो हमें मिला उस का वर्णन
14. पिरामिड वर्ण में बेटी का कौतुक
15. जीवन पाठ में मानव को खुद को बदलने का संदेश
16 तथा 17 में भारतीय नारी के डायरी के पन्नों में गृहिणी की जो परिवार के पीछे परेड होती , खुद को समय नहीं दे पाती .इस का यथार्थ वर्णन किया हैं.

अंत में कवियित्री को काव्यमेध सम्मान मिला हैं उसके लिए बधाई .
एक संग्रहणीय काव्यमेध

डॉ.नीलिमा तिग्गा(नीलांबरी)
[7/6, 18:36] Suchisandeep: आदरणीया सुचिता अग्रवाल  के काव्यमेध की समीक्षा
 इस काव्यमेध के सम्पादक श्री कैलाश जी सम्पादक सी पी सिंह जी सह सम्पादक आदरणीय राजवीर जी जो साहित्य संगम संस्थान के अध्यक्ष हैं वह और राजेश तिवारी  हैं, प्रकाशन साहित्य संगम संस्थान द्वारा किया  गया है।
               
पुस्तक में पहले अध्यक्षीय उद्बबोधन है, फिर कैलाश जी का  जबरदस्त सम्पादकीय है, और सुचिता जी का जीवन परिचय है।इसके बाद सरस्वती
वंदना ,श्री कृष्ण रास लीला  ,उठ भोर हुई ,होली गीत आदि रचनाऐ तथा
गजलें भी हैं। आखिरी मे उनको संस्था द्वारा दिया गया काव्यमेध
सम्मान बधाइयां।
     
         साहित्य संगम की साहित्यकार सुचिता जी का  यह अद्भुत अप्रतिम अनूठा काव्य संग्रह है, जो पठनीय और संग्रहणीय है, सभी रचनाएँ हृदय को लुभाने वाली हैं । सुंदर शब्द सौष्ठव से युक्त हैं, भाव पक्ष कला पक्ष सशक्त है ,सभी रचनाएँ सुचिता जी को एक महान कवि की श्रेणी मे लाते  हैं।  आपने हर विषय पर अपनी लेखनी उठाई है और  आप हर विषय मे पारंगत हैं । सभी रचनाएँ जो शिल्प विधान से परिपूर्ण हैं, पाठक के हृदय में अमिट छाप छोडती हैं । 
               
रचना का भावपक्ष एवं कलापक्ष पुष्ट  अति सराहनीय और संयत है। शब्दों का उपयुक्त चयन , निश्चित व संतुलित प्रवाह, मन को मोह लेता है ,सुंदर
विचारों की सजग व सरल  अभिव्यक्ति एवं विधान प्रशंसनीय है और रचना
मे माधुर्य  प्रवाह, रसात्मक सृष्टि अत्यंत प्रभावशाली रूप में अभिव्यक्त हुई है
सभी रचनाऐ एक से बढकर एक हैं।
               
               हर गजलों के शेर उम्दा हैं ,मतले से मक्ते से हर शेर
काबिले दाद है मुकम्मल सभी गजलों हेतु दिली बधाइयाँ।साथ
   ही   एक सार्थक सारगर्भित काव्य संग्रह सृजन हेतु आपको बधाई।       
कृति पठनीय और संग्रहणीय है अनमोल है,  निश्चय यह कृति विद्यालयों मे पाठ्यक्रम मे रखने पर छात्रों को ज्ञानवर्धक और उपयोगी सिद्ध होगी ।
मेरी शुभकामनाएं सुचिता जी  को हैं । आशा और विश्वास करती हूँ । यह कृति साहित्य जगत में विशिष्ट स्थान बनायेगी और लोकप्रिय होगी और  सुचिता जी को  प्रसिद्धि देगी ।

डाःसुचिता अग्रवाल  के काव्यमेध हेतु दोहेः

ज्ञान सुदीप जलाइये ,करती है उजियार।
काव्यमेध है रच दिया , सुचि विद्वान अपार।।

संगम की तो शान हैं, ऊँचा इनका नाम।
नित्य नयी रचना करें, करते नहिँ आराम।।

कला भाव उत्कृष्ट हैं, लेखन अदभुत जान।
अनुपम कृति है जानिए ,बढी पटल की शान

कविता मधुरिम हैं सभी ,भाती मन को मीत।
भावों की सरिता बहे ,मनवा लेते  जीत।।

धन्यवाद कैलाश का , दी उत्तम पहचान।
राजवीर छाया बने ,साहित्य के सुजान।।

भव से पार उतारते  ,सुचिता ले अवतार।
ज्ञानवर्धक किताब है, होती जय जयकार।।

कीर्ति जगत मे हो भली ,मीना की है चाह।
करिए मंगल  कामना ,और कीजिए वाह।।


                 मीना भट्ट
[7/6, 18:56] Suchisandeep: 9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '

  🙏🙏

  समीक्षा
 काव्यमेध  --  सुचिता संदीप ' शुचि ' जी ।

          किसी भी पुस्तक को पढ़ लेना जितना सरल है , उसकी समीक्षा करना या उसे आत्मसात किये बिना कुछ भी उसके बारे में कहना उचित नही होता । आज समीक्षार्थ शुचि जी का काव्यमेध प्रस्तुत है , जो देखने में आकर्षक , सुन्दर व मनभावन है । उसका प्रकाशन बी बहुत सुन्दर सधे हाथों का कमाल है । छपाई भी बहुत बढ़िया है । विभिन्न विषयों पर रचित रचनाएँ मन मोह रही हैं । बाल कृष्ण की लीलाएँ न्यारी हैं । चिड़िया के साथ ही भोर का सन्देश दिया गया है । होली रचना में विविध रंगों को समेटा है व शिक्षाप्रद संदेश दिया गया है । अतिथि देवो भव होने के बाद भी कुछ कमी होने पर मन घबराता है । नाम की महिमा का अपना महत्व है ।यह नाम बड़ा सुखकारी है । बिना नाम के इस काया का कोई महत्व नहीं है । ग़ज़ल में हौसला रखने की सीख और इज़्ज़त में इज़्ज़त की सीख दी गयी है , क्योंकि हम जैसा बोयेंगे , वैसा ही काटेंगे । इज़्ज़त के संस्कार सबमें होने ही चाहिए । चले आओ रचना में सहारा बनने का आह्वान किया गया है । शारदे की वंदना में ज्ञान देने की बात कही गयी है । नारी ने अपनी डायरी में जैसे सारा जीवन समेट कर रख दिया है । वास्तव में सभी रचनाएँ कुछ न कुछ संदेश देतीं बहुत बढ़िया हैं । आपको हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनाएँ । आप इसी तरह प्गति पथ पर अग्रसर होती रहें व नया काव्य सृजन करती रहें । मा शारदा आप पर आशीर्वाद बनाये रखे ।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
6.6.2019 , 6.12 पी.एम.पर रचित ।
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[7/6, 19:02] Suchisandeep: डॉ ०सुचिता अग्रवाल सुचि संदीप जी का‌" काव्यमेध "विधा ----समीक्षा ------बहुत ही आकर्षक आवरण पृष्ठ से सुसज्जित पुस्तक साहित्य संगम संस्थान से प्रकाशित है ।आपका जीवन परिचय अत्यंत मनोरम है ।सम्मान ‌पत्रों की लम्बी सूची  हिंदी की सभी विधाओं में सृजन आपके व्यक्तित्व की महानता का परिचायक है ।                                     मंगलाचरण के रूप में आपने कृष्ण की बाल लीला का  अत्यंत मनोरम चित्रण बालगीत में प्रस्तुत किया है ।जो वात्सल रस से पूर्ण है । द्वितीय रचना "उठ भोर हुई " जागरणगीत  है जो मानव सूर्योदय ‌से पूर्व उठ जाते हैं और वे सफलता के उच्चतम शिखर तक पहुंचते हैं जो  सोते रहते हैं वे पीछे रह जाते हैं  इन्हीं भावों को रेखांकित करती हुई रचना है ।                  अगली रचना "होली गीत "है ।भारतीय संस्कृति के प्रतीक होली का त्यौहार में आपने नवीन से नवीन उपमान गढ़े हैं ।स्तरीय की विजय बताते हुए सुंदर जीवन दर्शन प्रस्तुत किया है ।        ""अतिथि देव"                 भारतीय संस्कृति की झलक के साथ  थोड़े से हास्य व्यंग और ‌यथार्थ  सभी कुछ समेटने का प्रयास है ।एक दो दिन तो अतिथि अच्छे लगते हैं किंतु अधिक दिन टिक जाएं तो जीवन शैली अस्त व्यस्त हो जाती है ।। बहुत सुंदर सृजन ।      " नाम महिमा "--के माध्यम से ईश्वर /कृष्ण की महिमा का वर्णन करते हुए संदेश देने का प्रयास किया है कि ईश्वर की आराधना के बिना मानव जीवन व्यर्थ है  ।      ग़ज़ल तो आपने कमाल की लिखी है ।भ्रूण हत्याजैसी सामाजिक समस्या  का विरोध करती और प्रेम का संदेश  प्रदान कर रही है ।। इज्जत "तो दूसरों को देने से ही स्वयं को मिलती है ।सुचि जी ने स्पष्ट कहा है यदि हमें इज्जत चाहिए तो दूसरों को देनी भी होगी । गीत ---"प्रिय चले आओ " बहुत बहुत विरह गीत है ।"नीले गगन के तले "सुंदर रचना‌है । "मां शारदे"की वंदना के माध्यम  से कवयित्री ने‌सभी कायनात पूर्ण एवं सुखमय जीवन हेतु  एतु प्रार्थनाकी गयीहै ।  "जीवन पथ " ‌ सुन्दर गीत है ।समाज की धारा के विपरीत प्रचलित कुरीतियों का पुरजोर विरोध किया है ।इस प्रकार उनकी सभी रचनाएं अत्यंत भावपूर्ण संदेश देती हैं ।सुचि का अर्थ पवित्र होता है यथा नामे तथा गुणे की तरह उनका मन अत्यंत पवित्र है सभी को सुखी , संपन्न  बनाने की पूरी कोशिश की गई है ।यह ग्रंथ पठनीय एवं संग्रहणीय है मेरी ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सुचि जी साहित्य जगत में कीर्तिमान  स्थापित करें ।           💐🌹💐🌹💐🌹सुशीला सिंह ।🌹💐🌹💐🌹💐
[7/6, 19:05] Suchisandeep: बिषय- काव्यमेध समीक्षा
   सुचिता संदीप

आदरणीय सूचिता दीदी आपको सबसे पहले बहुत बहुत बधाई
 उठी भोर बाललीला मधुसुदन अतिदेव, इज्जत नाम महिमा चले आओ, गीत नील गगन ,के तले उभर कर आज शुक्रवार हैं  भारतीय नारी  की डायरी के पन्ने , श्रीमद्भागवत गीता, आदि रचनाये
 उठ भोर हुई आदि सुंदर रचनाएँ है, राम अयोध्या बाट जोहती,
 प्रतिरोध, आदि रचनाये आप इसी तरह आगे बढ़ती रहे माँ सरस्वती की कृपा इसी तरह बनी रहे। बहुत बहुत बधाई आपको
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
[7/6, 19:07] Suchisandeep: *समीक्षा*
डॉ सुचि संदीप जी द्वारा रचित सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक  हैं । भाव और शिल्प का सुंदर समन्वय आपकी रचनाओं की मुख्य विशेषता है ।  सभी रचनाओं का  सकारात्मक दृष्टिकोण से लिखा जाना पाठकों को भी लाभान्वित करता है ।

एक ओर जहाँ उठ भोर हुई  की पँक्तियों से घर आँगन में खुशियाँ फैल रही हैं  तो वहीं अतिथि आगमन पर भी सुंदर पँक्तियों से हास्य बोध का कराया जाना भी एक संदेश दे रहा है ।

होलीगीत,  नाम महिमा,  माँ शारदे की वंदना, ग़ज़ल प्रतिशोध है, चले आओ गीत, इज्जत आदि सुंदर बन पड़े हैं ।

घनाक्षरी में भागवत गीता  का संदेश अद्भुत है । डायरी के पन्ने तो लगभग हर नारी की कथा को कहते हुए प्रतीत हो रहे हैं ।

इस श्रेष्ठ काव्यमेध सृजन हेतु आपको हार्दिक बधाई ।


छाया सक्सेना प्रभु
[7/6, 19:13] Suchisandeep: 🙏🌳🌹🌳🙏

          ॥ श्री ॥

सुचिता संदीप ‘शुंचि’ जी का काब्यमेध आज पटल पर समीक्षा हेतु प्रस्तुत हुआ है।

सुचिता जी से तिनसुकिया में मिलने का सौभाग्य मिला। उनकी कई पुस्तकें भी मिली। ‘दर्पण’ पर एक कविता भी वहीं लिखकर मैंने उन्हें समर्पित भी की।

सुचिता जी की कविताएँ भाव भरी, गेय होती हैं। शब्द शिल्प भी अच्छा है। काब्यमेध की सभी रचनाएँ सुन्दर और पठनीय हैं। ये पुस्तिका जिसके हाथ लगेगी वह पढ़कर गुनगुनाए बिना नहीं कह पाएगा।

हिन्दी साहित्य को इनसे बड़ी अपेक्षाएँ हैं।
आप लिखती रहें। लोग पढ़ते रहें और गुनगुनाते रहेँ। संस्थान का पटल आपकी रचनाओं से सजता रहे। आप सफलताओं के नए सोपान चढ़ती रहें यही कामना करता हूँ।

✍रामावतार ‘निश्छल’

🙏🌳🌹🌳🙏
[7/6, 19:21] Suchisandeep: समीक्षा

साहित्य संगम संस्थान के काव्याकाश में काव्य मेघ की उर्ध्वगामी उड़ान की श्रृंखला में डाँ सुचि संदीप जी द्वारा सृजित रचनाओं की अपनी विशिष्ट सौन्दर्यानुभूति और कला सौष्ठव से गुजरने के बाद रसास्वादन की एक परिमल परिलब्धियों का अहसास जीवन की ऊर्जा में एक नवीन चेतना का संचार करता है आपकी रचनाएँ भोर की खुशबू और खुशियों का पैगाम लाती है यथा होली गीत, एक और जहाँ भोर हुई, नाम महिमा की अनुभूति, गजल की सुन्दर पंक्तियाँ हौसला अफजाई करने में समर्थ हैं माँ शारदे की वंदना मन में नव ऊर्जा देती है वहीं चले आओ रचना सार्थक संदेश की अभिव्यंजना प्रकट हुई है तो धनाक्षरी मे भगवत गीता का अनुपम दिव्य भाव प्रकट हुआ है!
आपकी रचनाओं में जीवन जीने की कला और भावनाओं का अनुपम सामंजस्य देखने को मिलता है आपकी लेखन क्षमता अनुपम व प्रसंसनीय है! मैं आपकी काव्य मेघ पुस्तक की रचनाओं पर हार्दिक बधाई व मंगल कामनाएं अर्पित करता हूँ आपकी लेखनी नित्य नवीनतम ऊँचाईयों की और अग्रसर हो!

छगन लाल गर्ग विज्ञ!
[7/6, 21:36] Suchisandeep: आदरणीया सुचि संदीप सुचिता जी का काव्यमेध आद्योपान्त गम्भीरतापूर्वक पढ़ डाला. हर रचना अपने आप में बेजोड़ है. सुचिता जी का काव्य संसार बहुआयामी है. जीवन के हर रंग इसमें समाहित हैं. काव्य की विभिन्न विधाओं में इन्होने सृजन किया है .इनकी रचनाओं में भक्ति, शृंगार, हास्य, शान्त, करूण --- हर रस का रसास्वादन पाठक कर पाता है . तिनसुकिया में अपने निवास काल के दौरान  विगत कई वर्षों से मैं आदरणीया सुचिता जी के काव्य संसार के संपर्क में रहा हूँ. मासिक गोष्ठियों में साथ साथ शिरकत किया हूँ. जितना अच्छा वे लिखती हैं, उतना ही अच्छा मंच पर अपने सुमधुर स्वर में अपनी रचनाओं का गायन भी करती हैं. उनकी लेखनी यूँही अनथक चलती रहे, यही हमारी शुभकामना है.
 --- राम प्रसाद दुबे 'राम' --
      गुवाहाटी

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शुद्ध गीता छंद, "गंगा घाट"

 शुद्ध गीता छंद-  "गंगा घाट" घाट गंगा का निहारूँ, देखकर मैं आर पार। पुण्य सलिला, श्वेतवर्णा, जगमगाती स्वच्छ धार।। चमचमाती रेणुका क...