हिन्दी के पौराणिक छन्दों,गजल,गीत एवम मुक्त कविताओं को समर्पित ब्लॉग जो भाषा शैली, विधान एवम काव्य शुचिता को अक्षुण्ण रखने के लिये प्रतिबद्ध है ।मैं प्रमाणित करती हूँ कि इस ब्लॉग की सभी रचनाएँ स्वरचित एवम मौलिक है जिन पर मेरा सर्वाधिकार सुरक्षित है।
आपका आभार
- Home
- काव्यमेध समीक्षा
- Sahitya Sangam
- साहित्य संगम वार्षिकोत्सव 2019
- News headings
- "दर्पण"एकल काव्य संग्रह समीक्षा
- एकल लघु काव्य संग्रह
- साझा-संग्रह
- साहित्यिक गतिविधियाँ
- काव्य शुचिता-समीक्षा
- मन की बात
- Honoured by Rachnakaar
- जिज्ञासा मंच
- आभार
- विविध मंचों द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परिणाम
- अन्य प्रमाण पत्र
Subscribe to:
Posts (Atom)
Featured Post
शुद्ध गीता छंद, "गंगा घाट"
शुद्ध गीता छंद- "गंगा घाट" घाट गंगा का निहारूँ, देखकर मैं आर पार। पुण्य सलिला, श्वेतवर्णा, जगमगाती स्वच्छ धार।। चमचमाती रेणुका क...
-
नीरस सूखे से जीवन में, प्रेम पुष्प महकाता है। अंतर्मन के मंदिर में जो,मूरत बन बस जाता है। एकाकीपन का भय हरले, खोले हृदय जकड़ता है। सु...
-
लिपट गये हरि आँचल से अरु, मात यशोमति लाड करे, गिरिधर लाल लगे अति चंचल, ओढनिया निज आड़ धरे। निरखत नागर का मुखमण्डल, जाग उठी ममता मन की, हर...
-
अष्टभुजाओं में लिये, गदा धनुष तलवार। आठ दिशाओं से करे, दुष्टों पर माँ वार ।। चक्र लिये दुर्गा बढ़ी, ऊँचा करके भाल। भक्तों की रक्षक बन...
-
जो सदा यही कहे कि हौसले बुलंद है, है हजार राह सामने दिवार चंद है। वो रहे सदा सुखी वही बने महान है, सौ करोड़ लोग में दिखे विराट शान है। ...
-
ये बेटी नाज है आवाज है अतुलनीय अनिवर्चनीय पवित्र नमाज है। संस्कारों की छवि है। ममतामयी है। घर सजाती अनुपम अथाह प्रेम से। सुच...
-
(१) गरम नरम आभास सुहाये। तन-मन उससे लिपटा जाये। मिलता पाकर उसको सम्बल। का सखि साजन!ना सखि कम्बल। (२) कभी प्रेम में पागल होते। कभी व...
-
"रास छन्द" रास रचैया,गोकुल वासी, सांवरिया। सखियाँ सारी, हो जाती है, बावरिया।। राधा सुध बुध, खो कर बैठी, मधुबन में। मोहन प्य...
साहित्य संगम संस्थान द्वारा प्रदत्त भेंट।
ReplyDelete