Wednesday, May 25, 2022

तोटक छंद 'उठ भोर हुई'

तोटक छंद

'उठ भोर हुई'


उठ भोर हुई बगिया महके।

चिड़िया मदमस्त हुई चहके।।

झट आलस त्याग करो अपना।

तब ही सच हो सबका सपना।।


रथ स्वर्णिम सूरज का चमके।

सतरंग धरा पर आ दमके।।

बल, यौवन, स्वस्थ हवा मिलती।

घर-आँगन में खुशियाँ खिलती।।


धरती, गिरि, अम्बर झूम रहे।

बदरा लहरा कर घूम रहे।।

हर दृश्य लगे अति पावन है।

यह भोर बड़ी मनभावन है।


पट मंदिर-मस्जिद के खुलते।

मृदु कोयल के स्वर हैं घुलते।।

तम भाग गया किरणें बिखरी।

नवजीवन पा धरती निखरी।।

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तोटक छंद विधान-


तोटक छंद 12 वर्णों की वर्णिक छंद है।

इसमें चार  सगण होते हैं।

112 112 112 112 = 12 वर्ण। 

चार चरण होते है।

दो- दो या चारों चरण समतुकान्त।

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शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

तिनसुकिया, असम

Friday, May 13, 2022

गगनांगना छंद 'आखा तीज'

 गगनांगना छंद 

'आखा तीज'


शुक्ल पक्ष बैसाख मास तिथि, तीज सुहावनी।

नूतन शुभ आरंभ कार्य की, है फल दायनी

आखा तीज नाम से जग में, ये विख्यात है।

स्वयं सिद्ध इसके मुहूर्त को, हर जन ध्यात है।।


त्रेता का आरंभ इसी दिन, हरि युग धर्म का।

अक्षय पात्र मिला पांडव को, था धन कर्म का।।

परशुराम का जन्म हुआ वह, पावन रात थी।

शुरू महाभारत की रचना, शुभ सौगात थी।।


वृंदावन पट श्री विग्रह के, दर्शन को खुले।

कभी सुदामा भी इस दिन ही, हरि से आ मिले।।

भू सरसावन माँ गंगा ने, तिथि थी ये चुनी।

विविध कथाएँ दान-पुण्य के, फल की भी सुनी।।


होते ग्रह अनुकूल सभी ही, हरती आपदा।

धन की वर्षा करती तिथि यह, होता फायदा।।

फल प्रदायिनी मंगलदायक, हिन्दू मान्यता।

मनवांछित शुभ फल है देती, दे आरोग्यता।।

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गगनांगना छंद विधान-


गगनांगना छंद 25 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 16 और 9 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है।  दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।


इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

2222 2222, 2 2212


चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु अंत में रगण (212) आवश्यक है।

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

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