आभार

आभार


"सृजन शुचिता सदा रखना,
चलें सच्चाई के पथ पर।
बढ़ाएं मान लेखन से,
चढ़ें साहित्य के रथ पर।
कलम ही मान कलम अभिमान,
कलम गीता हमारी है।
बढ़ाएं देश का गौरव,
चलें सच्चाई के पथ पर।"

माँ शारदे की असीम कृपा है कि यह कलम निरंतर विश्व की सबसे समृद्ध भाषा हिन्दी को अपनी ताकत बनाकर जन जागृति लाने के लिए, रिश्तों में मजबूती लाने तथा मनोरंजन हेतु प्रयासरत है। मुझे गर्व है कि भारत मेरा अपना देश है और हिन्दी मेरी मातृभाषा।

प्रत्येक उस व्यक्ति को जिसकी उपस्थिति से मेरे जीवन में रौनक, उमंग, अनुराग, उत्साह और प्रबल विचारधारा का आगमन हुआ मैं आत्मीय कृतज्ञता के साथ उन सभी का आभार व्यक्त करती हूँ।

मैं आभारी हूँ उन सभी महानुभावों की जिन्होंने मेरे साहित्यिक सफर में अमूल्य योगदान देते हुए ऊँचाइयों को छूने के लिए सदैव मुझे प्रेरित किया।
कविता लेखन की बारीकियों एवं छन्दों की तरफ विशेष रूप से आकर्षित करवाने के लिए मैं कृतज्ञ हूँ अपने भाई बासुदेव अग्रवाल की, साहित्य संगम संस्थान के प्रत्येक सदस्य की विशेष तौर पर शैलेन्द्र खरे 'सोम'जी एवम बिजेंद्र सिंह'सरल'जी की।
किशन लाल जी अग्रवाल, राजवीर सिंह मन्त्र, अरुण श्री वास्तव जी, छाया सक्सेना जी, मीना भट्ट जी की भी मैं आभारी हूँ जिन्होंने मुझे साहित्यिक परिवार की एक विशेष सदस्य के रूप में पहचान दिलायी।
साहित्यक मंच जैसे नारायणी साहित्य अकादमी, साहित्य संगम संस्थान, जिज्ञासा काव्य मंच, महिला काव्य मंच, अग्रवाल रचनाकार तथा उन तमाम मंचों की आभारी हूँ जिन्होंने मेरी लेखन प्रतिभा को उजागर करने में मेरा सहयोग दिया तथा साहित्यिक उपलब्धियों हेतु प्रमाण पत्र प्रदान किये।

मेरी चौथी काव्यकृति के संपादन हेतु सहर्ष स्वीकृति देकर संशोधन कार्य में पुरजोर सहायता करने हेतु आशीष पांडेय जिद्दी जी का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ।

मेरे घनिष्ठ रिस्तेदारों एवम बहुमूल्य मित्रों को धन्यवाद देती हूँ जिन्होंने बचपन से लेकर आज तक मेरी कविताओं की सराहना करके प्रोत्साहित किया।

सत्यनारायण फूफाजी,गजानंद चाचाजी, नंदा भाभी, सुमन भाभी, सलोचना दी, खुशी, सीमा, ममता, मंजू दी, श्याम भैया, सोनाली, अनुराधा, दिनेश, सुरभि,अमितजी, प्रज्ञा, गार्गी, प्रीति, निकिता- राजेश जालान, प्रदीप भैया,
ऋतु ,बबली, रश्मि,सुषमा, ममता एकता, सुजाता खेतान दीदी, कमल तोदी जी, मनोज जी मोदी, साँवर सुरेका,श्री हरिहर मधुकर जी, ऋतु गोयल, उमी जालान, निशा गुप्ता,संजय त्रिवेदी तथा तिनसुकिया के सभी कविगण।

अंत में मेरे पति संदीप अग्रवाल जी, बेटा रौनक,  बिटिया आँचल तथा यशस्वी से हमेशा प्रेरणा मिली कि मैं अब भी अपने हुनर से आगे बढ़ सकती हूँ। मेरे बच्चे हमेशा कहते हैं क्या हुआ जो आपके पास लम्बी चौड़ी डिग्रियाँ नहीं है , मम्मा आप जो  लिखती हैं, वह दिल को छूता है।
बिटिया यशस्वी मेरी कविताओं को स्वेच्छा से कंठस्थ करके जब मुझे ही सुनाती है और अपने भावों को छोटी छोटी कविताओं में कलमबद्ध करती है तो उसको बाँहों में भरकर जो हर्षानुभूति होती है वही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

डॉ. सुचिता अग्रवाल,'सुचिसंदीप'

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