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Tuesday, April 19, 2022
काव्य कौमुदी, 'होली विशेषांक'
मुक्तक, बिहू
कपौ फूल गजरे में शोभित,
मुख सुंदर मनमीत।
बिहू नृत्य कर झूम रहे सब,
सुमधुर गाकर गीत।
पर्व अनूठा असम प्रान्त का,
प्रेम मधुर बरसाय,
बिहू पर्व में देखी हमने,
मन पर मन की जीत।।
शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
Monday, April 11, 2022
गीता छंद, "गीता पढ़ने के लाभ"
गीता छंद,
"गीता पढ़ने के लाभ"
गीता पढ़ें गीता सुनें, गीता करे कल्याण।
पुस्तक इसे समझें नहीं, भगवान के हैं प्राण।।
है दिव्य वाणी कृष्ण की, उद्गार अपरम्पार।
सब सार जीवन का भरा, हर धर्म का आधार।।
उपदेश समता भाव का, निष्कामता का ज्ञान।
सिद्धान्त रत्नों से जड़ित, मन से करें सम्मान।।
यह भेद तोड़े जाति के, कल्याण करना धर्म।
यदि चाहते पथ हो सुगम, समझें इसे ही कर्म।।
पढ़ते रहें धारण करें,नित अर्थ निकले गूढ।
विकसित करे बल, बुद्धि को, रहता न कोई मूढ़।।
है ज्ञान का रवि रूप यह, निष्काम सेवा भाव।
भव पार निश्चित जो करे, है श्रेष्ठ यह वो नाव।।
संशय हरे चिंता मिटे, दुख शोक होते नष्ट।
अध्यन करे नित तो कटे, सब मूल से ही कष्ट।।
यह क्रोध, ममता, दुष्टता, भय मौत का दे तोड़।
सम्बन्ध गीता से मनुज, अविलम्ब ले तू जोड़।।
गीता छंद विधान -
गीता छंद 26 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 14 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2212 2212, 2212 221 (14+12)
चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु अंत में ताल (21) आवश्यक है।
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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
Thursday, April 7, 2022
विस्तृत जीवन परिचय एवं व्यक्तित्व
विस्तृत जीवन परिचय एवं व्यक्तित्व-
नाम- डॉ.शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
माता का नाम- स्वर्गीय चंदा देवी ढोलासिया
पिता का नाम-स्वर्गीय शंकरलाल जी ढोलासिया
पति का नाम-श्री संदीप अग्रवाल
पुत्र- सी.ए. रौनक अग्रवाल
पुत्रियाँ- 1.आँचल अग्रवाल (इंटीरियर डिज़ाइनर)
(विवाह उपरांत आँचल कौशिक मोदी,डिब्रुगढ़)
2. यशस्वी अग्रवाल
मेरी आरम्भिक शिक्षा कक्षा सात तक सुजानगढ़ कनोई बालिका विद्यालय से हुई तद्पश्चात मैंने असम के तिनसुकिया में श्री कन्या पाठशाला एवं वीमेंस कॉलेज से स्नातक (बी.ए) तक शिक्षा ग्रहण की।
1993 में मेरा विवाह तिनसुकिया के 'अनुराग' प्रतिस्ठान में श्री संदीप जी से हुआ।
साहित्यिक परिचय-
हिन्दी में कविता लेखन की तरफ मेरा रुझान कक्षा सात से ही आरभ हो गया था, समाज में नारियों पर अत्याचार, भेदभाव आदि गम्भीर समस्याओं को देखकर मेरा बालमन द्रवित हो जाता था एवं अपने भावों को कलम के माद्यम से उजागर करने लगी। पूर्वांचल प्रहरी समाचार पत्र में मेरी पहली रचना भी तभी छपी थी।
विवाह के बाद लेखन कार्य लगभग बंद सा हो गया था।
2014-15 से फिर से लेखन शुरू किया एवं सबसे पहले मैं नारायणी साहित्य अकादमी से जुड़ी फिर मुझे कई प्रतिष्ठित साहित्यिक समूहों से व्हाट्सएप्प के माध्यम से जुड़ कर सीखने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इन्हीं समूहों में मैंने छंद, गजल, गीत, हाइकू, पिरामिड, लघु कथा आदि विधाओं पर लेखनी चलाना सीखा।
हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वर्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न हूँ।
वर्तमान में देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ। जिनमें प्रमुख-
जिज्ञासा, काव्य-कुन्ज, आगमन, साहित्य संगम संस्थान, साहित्य सरिता संस्थान प्रयागराज, हिन्दी रक्षक मंच, सोमालोब साहित्य मंच उत्तरप्रदेश, संगम सुवास नारी मंच, जय जय हिंदी बरेली मंडल, असम वरिष्ठ नागरिक मंच, महिला काव्य मंच, कोंच इंटर नेशनल, आदि है।
प्रकाशित पुस्तकें-
1. "दर्पण" 2016 में हिंदुस्तान प्रकाशन, दिल्ली से।
२. "मन की बात" 2017 में ग्रामोदय प्रकाशन, दिल्ली से।
3. "साहित्यमेध" साहित्य संगम संस्थान प्रकाशन,इंदौर से।
4."काव्य शुचिता" 2018 में साहित्य संगम संस्थान प्रकाशन,इंदौर से।
5."काव्यमेध" साहित्य संगम प्रकाशन,इंदौर से।
साझा संग्रह-
१.एक पृष्ठ मेरा भी
२.संगम संकल्पना
३.संगम समीक्षा सुधा
४. अविचल प्रवाह
५.रचनाकार स्मारिका
६. मन की बात (आदित्य नाथ योगी जी पर आधारित)
७. संगम समागम
८.इन्नर
९.संगम स्मारिका
१०. शब्द समिधा
११. भाव स्पंदन
१२. दिल कहता है
१३.लघु कथा संगम
14.बरनाली (साझा उपन्यास, असम की पृष्ठभूमि पर रचित जिसका प्रबन्ध संपादक का कार्य मैंने किया)
१५. नीलांबरी आदि आदि
मेरी रचनाएँ देश की सम्मानित वेब पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं।
सम्मान पत्र-
विद्यावाचस्पति (डॉक्टरेट)" (साहित्य संगम संस्थान द्वारा)
'समाज भूषण-2018' ('काव्य रंगोली' द्वारा)
'आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019 ('आगमन' द्वारा)
'प्राइड वीमन ऑफ इंडिया 2022'( 'आगमन' द्वारा)
हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न समुह और संस्थानों से दैनिक लेखन प्रतियोगिता के अंतर्गत लगभग 150 अलंकरण और प्रसस्ति पत्र प्राप्त हो चुके हैं।
मेरे निजी ब्लॉग काव्यशुचिता पर मेरी रचनाएँ उपलब्ध है।
http://kavyasuchita.blogspot.com
मेरी छंदबद्ध रचनाएँ सविधान हमारी वेबसाइट कविकुल पर उपलब्ध है।
http://kavikul.com
पता एवं ई मेल
अनुराग
जी.एन. बी.रोड
पो.ओ. तिनसुकिया (असम)
पिन-786125
Suchisandeep2010@gmail.com
शुभगीता छंद 'जीवन संगिनी'
शुभगीता छंद
'जीवन संगिनी'
सदा तुम्हारे साथ है जो, मैं वही आभास हूँ।
अधीर होता जो नहीं है, वो अटल विश्वास हूँ।।
कभी तुम्हारा प्रेम सागर, मैं कभी हूँ प्यास भी।
दिया तुम्हे सर्वस्व लेकिन, मैं तुम्हारी आस भी।।
निवेदिता हूँ संगिनी हूँ, मैं बनी अर्धांगिनी।
प्रभात को सुखमय बनाती, हूँ मधुर मैं यामिनी।।
खुशी तुम्हारी चैन भी मैं, हूँ समर्पण भाव भी।
चली तुम्हारे साथ गति बन, हूँ कभी ठहराव भी।।
रहूँ सहज या हूँ विवश भी, स्वामिनी मैं दासिनी।चुभे उपेक्षा शूल तुमसे, पर रही हिय वासिनी।।
चले विकट जब तेज आँधी, ढाल हाथों में धरूँ।
सुवास पथ पाषाण पर भी, नेह पुष्पों की करूँ।
भुला दिये अधिकार मैंने, याद रख कर्तव्य को।
बनी सुगमता मार्ग की मैं, पा सको गन्तव्य को।।
दिया तुम्हे सम्पूर्ण नर का, मान अरु अभिमान भी।
चले तुम्हारा कुल मुझी से, गर्व हूँ पहचान भी।।
अटूट बन्धन ये हमारा, प्रेम ही आधार है।
बँधा रहे यह स्नेह धागा, यह सुखी संसार है।।
सुखी रहे दाम्पत्य अपना, भावना यह मूल है।
मिले हमेशा प्रेम पति का, तो कहाँ फिर शूल है।।
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शुभगीता छंद विधान-
शुभ गीता 27 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
1 2122 2122, 2122 212(S1S) (15+12)
चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है किंतु अंत में 212 आना अनिवार्य है।
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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
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