(१)
गरम नरम आभास सुहाये।
तन-मन उससे लिपटा जाये।
मिलता पाकर उसको सम्बल।
का सखि साजन!ना सखि कम्बल।
(२)
कभी प्रेम में पागल होते।
कभी विरह में व्याकुल होते।
झरझर बहते खोवे चैना,
ऐ सखि साजन! न सखि नैना।
(३)
रक्षा मेरी वो करता है।
सारी विपदाएं हरता है।
समझा ताज न समझा जूता
का सखि साजन!ना सखि कुत्ता।
(४)
कैसी विपदा घर पर आई।
उसके जाने पर मुरझायी।
लाख मनाया उसको रोकर।
का सखि साजन!ना सखि नोकर
(५)
अँग-अँग थिरकन लगता है
फूलों सा खिलता चेहरा है
वो मेरे गीतों का राजा
का सखि साजन! न सखि बाजा।
(६)
रह न सकूँ उसके बिन पल भर
चैन मिले हाथों में धरकर
मैं कश्ती मेरा वो साहिल
का सखि साजन! न मोबाइल।
(७)
चाहे दुख सहकर रहता है,
प्रेम की बात सदा कहता है।
पाकर उसको खिल उठता शबाब,
का सखि साजन!न सखि गुलाब।
(८)
उसको कोई देख न लेवे,
बुरी नजर भी लगा न देवे,
सबसे छुपा रखूँ मैं ऐसे,
ऐ सखि साजन! न सखि पैसे
(९)
इधर-उधर वो हाथ लगाये,
मेरे तन को छूता जाये,
हम दोनों की है ये मर्जी,
ऐ सखि साजन!न सखि दर्जी
(१०)
मीठे बोले बोल रसीले,
कानों में मिश्री सी घोले,
वो मेरा साथी इकलौता,
ऐ सखि साजन!न सखि तोता
(११)
उनसे ही मैं माँग सजाऊँ,
आँचल में भर कर सो जाऊँ,
हर रात वो मेरे साथ गुजारे
का सखि साजन!न सखि तारे।
गरम नरम आभास सुहाये।
तन-मन उससे लिपटा जाये।
मिलता पाकर उसको सम्बल।
का सखि साजन!ना सखि कम्बल।
(२)
कभी प्रेम में पागल होते।
कभी विरह में व्याकुल होते।
झरझर बहते खोवे चैना,
ऐ सखि साजन! न सखि नैना।
(३)
रक्षा मेरी वो करता है।
सारी विपदाएं हरता है।
समझा ताज न समझा जूता
का सखि साजन!ना सखि कुत्ता।
(४)
कैसी विपदा घर पर आई।
उसके जाने पर मुरझायी।
लाख मनाया उसको रोकर।
का सखि साजन!ना सखि नोकर
(५)
अँग-अँग थिरकन लगता है
फूलों सा खिलता चेहरा है
वो मेरे गीतों का राजा
का सखि साजन! न सखि बाजा।
(६)
रह न सकूँ उसके बिन पल भर
चैन मिले हाथों में धरकर
मैं कश्ती मेरा वो साहिल
का सखि साजन! न मोबाइल।
(७)
चाहे दुख सहकर रहता है,
प्रेम की बात सदा कहता है।
पाकर उसको खिल उठता शबाब,
का सखि साजन!न सखि गुलाब।
(८)
उसको कोई देख न लेवे,
बुरी नजर भी लगा न देवे,
सबसे छुपा रखूँ मैं ऐसे,
ऐ सखि साजन! न सखि पैसे
(९)
इधर-उधर वो हाथ लगाये,
मेरे तन को छूता जाये,
हम दोनों की है ये मर्जी,
ऐ सखि साजन!न सखि दर्जी
(१०)
मीठे बोले बोल रसीले,
कानों में मिश्री सी घोले,
वो मेरा साथी इकलौता,
ऐ सखि साजन!न सखि तोता
(११)
उनसे ही मैं माँग सजाऊँ,
आँचल में भर कर सो जाऊँ,
हर रात वो मेरे साथ गुजारे
का सखि साजन!न सखि तारे।
(१२)
वो मेरा उपवन महकाये,
खुशियों की बगिया लहराये,
ना आये तो दूँ मैं गाली,
का सखि साजन!ना सखि माली।
डॉ.शुचिता अग्रवाल"शुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम
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