अष्टभुजाओं में लिये, गदा धनुष तलवार।
आठ दिशाओं से करे, दुष्टों पर माँ वार ।।
चक्र लिये दुर्गा बढ़ी, ऊँचा करके भाल।
भक्तों की रक्षक बनी, महिषासुर की काल।।
चंडी का अवतार ले, किया दुष्ट संहार।
धारा दुर्गा नाम भी, महिषासुर को मार।।
सोई नारी जाग अब, माता शंख बजाय।
अबला से सबला बनो, कब तक बैठ लजाय।।
सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम
16-10-2018
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