(डोल, जलझूलनी, पद्मा या वामन एकादशी पर रचित रचना)
कृष्ण लिए अवतार धरा पे
मात यशोमति लाड लड़ाये ,
ग्यारस डोल घड़ी शुभ आयी,
मात नहावन से हरषाये।
जो जग के हरते दुख सारे
श्याम धणी लगते अति प्यारे,
बाल मनोहर रूप प्रभू का,
आज सजा हर आँगन भू का।
नंद बड़े खुश होकर गाये
गोकुल उत्सव में सब आये।
झूम रही सखियाँ बलखाती
लाड़ लडाकर वो सकुचाती।
ग्यारस की यह पावन बेला
आज लगा धरती पर मेला,
देव लगे बरखा बरसाने
स्वागत को हर राह सजाने।
विधान~दोधक/बन्धु/मधु छंद
[भगण भगण भगण+गुरु गुरु]
( 211 211 211 22
11वर्ण,,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
डॉ.सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप"
तिनसुकिया,असम
कृष्ण लिए अवतार धरा पे
मात यशोमति लाड लड़ाये ,
ग्यारस डोल घड़ी शुभ आयी,
मात नहावन से हरषाये।
जो जग के हरते दुख सारे
श्याम धणी लगते अति प्यारे,
बाल मनोहर रूप प्रभू का,
आज सजा हर आँगन भू का।
नंद बड़े खुश होकर गाये
गोकुल उत्सव में सब आये।
झूम रही सखियाँ बलखाती
लाड़ लडाकर वो सकुचाती।
ग्यारस की यह पावन बेला
आज लगा धरती पर मेला,
देव लगे बरखा बरसाने
स्वागत को हर राह सजाने।
विधान~दोधक/बन्धु/मधु छंद
[भगण भगण भगण+गुरु गुरु]
( 211 211 211 22
11वर्ण,,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
डॉ.सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप"
तिनसुकिया,असम
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