आयी गरमी लू बहे, गरम गरम माहौल
बच्चे पल पल में रहे, कपड़े सारे खोल।
कपड़े सारे खोल, नाचते मस्ती में सब
ठंडी कुल्फी खाय, मांगते शर्बत ये अब
हुए सभी बेहाल, मगर छुट्टियाँ भी भायी
कितने दिनों के बाद, हाय गरमी यह आयी।
सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया,असम
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