जाते जाते भला किसी का तो तुम कर जाओ
दुनिया न देखी उसे, नेत्रदान कर दो।
जाते जाते रंग किसी में तो तुम भर जाओ
मिटादो अँधेरा सब नेत्रदान कर दो।
देखी नहीं दुनिया है, सुन के ही समझे हैं,
ज्योति इन अँखियों में, आप भेंट कर दो।
बड़ा उपकार होगा, नेक बड़ा काम होगा,
दो लोगों को आँखें मिले, नेत्रदान कर दो।
अनमोल उपहार, दिया है प्रभु ने हमें,
मरने के बाद इसे , व्यर्थ मत जाने दो।
जल जाती काया सारी, रह जाती माया यहाँ,
साथ कुछ जाता नहीं,नेत्रदान कर दो।
उठा रहे जो बीड़ा है, निःस्वार्थ सेवा भाव से,
धरा के वो कोहिनूर, बड़ा काम करते।
लाखों इसमें भलाई, एक भी बुराई नहीं,
लानी जन जागृति है, नेत्रदान कर दो।
सुचिता अग्रवाल,'सुचिसंदीप'
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