Tuesday, November 12, 2019

मुक्त कविता,"सीमा पर सैनिक की दास्ताँ"


मुझे सबसे जो प्यारा है वतन भारत वो मेरा है।
मेरे सपनों में बसता है चमकता एक सितारा है।

कहे सैनिक ये सीमा का मुझे जांबाज बनना है,
वतन की गोद में खेला वतन महबूब मेरा है।।

उठाकर आँख जो देखे भड़कता दिल ये मेरा है,
मेरे महबूब की खातिर धड़कता दिल ये मेरा है,
डटा सीमा पे मैं कुर्बान इसकी शान की खातिर,
बने दुश्मन जो इसका है वही दुश्मन भी मेरा है।


कभी जब याद आता है शहर का घर जो मेरा है,
तभी खुश हो के मैं सोचूं वतन सारा ही मेरा है,
रहे नापाक क़दमों से सुरक्षित देश के वासी,
नहीं फिर आँच आएगी वचन पक्का ये मेरा है।।

दिलों में आपके रहलूं यही तो ख्वाब मेरा है,
अमर कुछ काम कर जाऊँ इरादा नेक मेरा है,
खिले इन फूल से बच्चों को ये सन्देश देना तुम,
वतन के प्राण तुम बनना वतन जो आज मेरा है।

        सुचिसंदीप, (शुचिता)अग्रवाल
तिनसुकिया(आसाम)

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