Wednesday, August 25, 2021

कलहंस छंद "तुलसी चरित"

 कलहंस छंद "तुलसी चरित"


तिथि सावन शुक्ल सप्तमी पावन।

जन्मे तुलसी धरती सरसावन।।

रचने को राम चरित मनभावन।

भू के जन जन का मन हर्षावन।। 


थे आत्माराम पिता तुलसी के।

वे दीप्तिमान सुत माँ हुलसी के।।

कवि गण में वे थे परम श्रेष्ठ कवि।

अंकित मन में प्रभु सगुण रूप छवि।।


थे दास्य भक्ति के परम उपासक।

श्री रामचन्द्र प्रभु मन के शासक।।

बस राम एक भवसागर खेवक।

तुलसी अति दीन हीन लघु सेवक।।


वे वेद,शास्त्र,ज्योतिष के ज्ञाता।

बहु धर्म सनातन ग्रंथ प्रदाता।।

रच राम चरित मानस अनमोला।

रस राम नाम जन मन में घोला।।

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कलहंस छंद विधान -

यह 18 मात्राओं का मात्रिक छंद है। दो-दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

द्विकल+चौपाई (16 मात्रा)= 18मात्राएँ।

(द्विकल 2 या 11 हो सकता है।

चौपाई छंद चौकल और अठकल के मेल से बनती  है। चार चौकल, दो अठकल या एक अठकल और  दो चौकल किसी भी क्रम में हो सकते हैं। समस्त संभावनाएँ निम्न हैं।

4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 4-8-4, 8-4-4

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

Monday, August 16, 2021

दीप छन्द "राम-भजन"

 दीप छन्द

"राम-भजन"


कर मन भजन राम,

रख हिय सुगम नाम,

प्रभु को जप तु खोय,

पुलकित हृदय होय।


जगती लगन खास,

लगती मधुर प्यास,

दृग में करुण धार,

पुनि पुनि प्रिय पुकार।


कर के दृढ विचार,

त्यज दें सब विकार,

पायें नवल रूप,

प्रभु की छवि अनूप।


जो हरि भजन भाय,

जीवन सुधर जाय,

मिलता सरस नेह,

होती सबल देह।

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दीप छंद विधान-


यह 10 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो-दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-


चौकल, नगण(111) गुरु लघु (S1) = 10 मात्रायें।


(चौकल 2-2, 211 ,1111 या 112 हो सकता है। 

चरणान्त: नगण गुरु लघु (11121) अनिवार्य है।)


"चौकल नगण व्याप्त,

गुरु-लघु कर समाप्त,

रच लो मधुर 'दीप',

लगती चपल सीप।"

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


Saturday, August 7, 2021

प्रदोष छंद "कविता ऐसे जन्मी है"

      प्रदोष छंद

"कविता ऐसे जन्मी है"


मन एकाग्रित कर लिया,

चयन विषय का फिर किया।

समिधा भावों की जली,

तब ऐसे कविता पली।


नौ रस की धारा बहे,

अनुभव अपना सब कहे।

लेकिन जो हिय छू रहा,

कविमन उस रस में बहा।


सुमधुर सरगम ताल पर,

समुचित लय मन ठान कर।

शब्द सजाये परख के,

गा-गा देखा हरख के।


अलंकार श्रृंगार से,

काव्य तत्व की धार से।

पा नव जीवन खिल गयी,

पूर्ण हुई कविता नयी।

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प्रदोष छंद विधान-


यह 13 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो-दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-


अठकल+त्रिकल+द्विकल =13 मात्रायें


अठकल यानी 8 में दो चौकल (4+4) या 3-3-2 हो सकते हैं। (चौकल और अठकल के नियम अनुपालनीय हैं।)

त्रिकल 21, 12, 111 हो सकता है तथा द्विकल 2 या 11 हो सकता है।

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


Tuesday, August 3, 2021

पुनीत छंद 'भाई मेरा मान'

 पुनीत छंद "भाई मेरा मान"


भाई बहना का त्योंहार,

राखी दोनों का है प्यार।

जीये भाई सौ-सौ साल,

धागा मेरा तेरी ढाल।


कुमकुम टीका माथे सोय,

यश भाई का जग में होय।

रखना मुँह में मीठे बोल,

इसी मिठाई का है मोल।


पूनम के चंदा सा रूप,

शीत सुहानी तुम हो धूप।

सावन की मृदु हो बौछार,

बरसो फिर भी आता प्यार।


जनम-जनम का अपना साथ,

बाँधूं राखी तेरे हाथ।

भाई मेरा,मेरा मान,

करती तेरा हूँ सम्मान।

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पुनीत छंद विधान-


यह 15 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं।


इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

चौक्कल+छक्कल +SS1(गुरु गुरु लघु) = 15 मात्रायें।


(चौकल 2-2,211,1111 या 112 हो सकता है, छक्कल  2 2 2, 2 4, 4 2, 3 3 हो सकता है।)

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


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