दीप छन्द
"राम-भजन"
कर मन भजन राम,
रख हिय सुगम नाम,
प्रभु को जप तु खोय,
पुलकित हृदय होय।
जगती लगन खास,
लगती मधुर प्यास,
दृग में करुण धार,
पुनि पुनि प्रिय पुकार।
कर के दृढ विचार,
त्यज दें सब विकार,
पायें नवल रूप,
प्रभु की छवि अनूप।
जो हरि भजन भाय,
जीवन सुधर जाय,
मिलता सरस नेह,
होती सबल देह।
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दीप छंद विधान-
यह 10 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। दो-दो चरण या चारों चरण समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौकल, नगण(111) गुरु लघु (S1) = 10 मात्रायें।
(चौकल 2-2, 211 ,1111 या 112 हो सकता है।
चरणान्त: नगण गुरु लघु (11121) अनिवार्य है।)
"चौकल नगण व्याप्त,
गुरु-लघु कर समाप्त,
रच लो मधुर 'दीप',
लगती चपल सीप।"
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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
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