Tuesday, November 12, 2019

मुक्त कविता,'माँ के उद्गार'


मिला मुझे जो सबसे प्यारा
वो रिश्ता अनमोल तुम्ही बेटी।
नहीं दुनिया में तुमसे बढ़कर
मुझको कोई प्यारा और बेटी।।

जब जब निराशा ने घेरा मुझको
तुम आशा की ज्योति बन जाती हो।
जब जब आँसू बहे हैं मेरे
खुशियों का खजाना बन जाती हो।
तुम राजदार और सलाहकार भी
तुम वफादार सखि हो बेटी
तुमसे जीवन यह जीवन मेरा
जीने की वजह तुम हो बेटी।

तुझमें अपना बचपन देखा
तेरे साथ हर लम्हा जीती हूँ।
तुझसे कहकर हर बात मैं दिल की
सकून बड़ा पा लेती हूँ।
माँ  कितनी खुशकिस्मत हूँ मैं
तुम्हे पाकर जाना यह बेटी
खुशियाँ तुम्हें जहाँ की दे दूँ
चाहत मेरे दिल की है बेटी।।

श्रृंगार किया जब जब तुमने
अपलक तुझे निहारा मैंने।
कहीं नजर न मेरी लग जाये
नजर ये सोच उतारी मैने।
तन सुन्दर मन उससे भी सुन्दर
गुणों की खान तुम हो बेटी
खुशियाँ जो तुमने दी मुझको
हो अनमोल खजाना वो बेटी।।

उपहार भला क्या दूँ तुमको
जो मेरा है सब तेरा है।
मिल जाये तुझे वो सब खुशियाँ
जिन पर अधिकार बस तेरा है।
जन्मोत्सव तेरा बस एक  बहाना
हर पल उत्सव तुम हो बेटी
है आँगन की रौनक बस तुमसे
मेरे आँचल की ममता तुम बेटी।।

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