Tuesday, November 5, 2019

लावणी छन्द,'"नहीं एक भी मम्मी वाला,मम्मी तुझमें गुण कोई"





नहीं एक भी मम्मी वाला,मम्मी तुझमें गुण कोई,
गुस्सा करके हमें डाँटकर,तू भी साथ सदा रोई।

अपने मन की बात बेझिझक,तुमको हम बतलाते हैं,
नहीं लगा भय तेरा हमको,ना तुझसे कतराते हैं।
जाग रहे हैं बच्चे लेकिन तू हरदम जल्दी सोई।
नहीं एक भी मम्मी वाला,मम्मी तुझमें गुण कोई।

हम बच्चों के कपड़े पहने,जूते तू पहना करती,
जैसे पापा से हम डरते,वैसे ही तू भी डरती।
कभी-कभी मोबाइल में भी,तू हमसे ज्यादा खोई।
नहीं एक भी मम्मी वाला,मम्मी तुझमें गुण कोई।

मैग्गी पिज़्ज़ा बर्गर इडली,सारे मिलकर खाते हैं,
हमसे छोटी तुम लगती हो,जब होटल हम जाते हैं,
सैर सपाटा हँसी ठहाका,तू भी साथ सदा होई,
नहीं एक भी मम्मी वाला,मम्मी तुझमें गुण कोई

सबसे प्यारा दोस्त हमारा,माँ तुझमें ही दिखता है,
ऐसी किस्मत ऊपर वाला,फुर्सत में ही लिखता है,
तुमसे अच्छा और जगत में,लगा नहीं हमको कोई,
नहीं एक भी मम्मी वाला,मम्मी तुझमें गुण कोई

#स्वरचित
डॉ.(मानद)सुचिता अग्रवाल'सुचिसंदीप'

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