तू कहे अगर तो
तेरे आँचल को छोड़
भारत माँ का दामन थाम लूँ
माँ मैं तुझसे ज्यादा
जय भारत माँ नाम लूँ।
तू कहे अगर तो
सिर्फ इस घर की ही नहीं
पूरे देश की जिम्मेदारी उठाऊँ।
तुम्हारे पिलाये दूध की ताकत से
इस मिट्टी की शान बढाऊँ।
तू कहे अगर तो
दुश्मन के गले की फांस बनकर
मौत से भयभीत करूँ।
नापाक इरादों, मनसूबों पर
अपने कृत्यों से पानी भरूँ।
तू कहे अगर तो
इस धरती को माँ
हर पल दुल्हन सी सजाऊँ मैं
तेरी कोख से जन्मा हूँ लेकिन
देश का लाल कहलाऊँ मैं।
डॉ.सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम
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