Tuesday, November 12, 2019

ग़ज़ल,'जब तक जिओ'

          (बह्र~2122 2122 2122 212)

जब दुखी हों तब भी सबको गुनगुनाना चाहिए
झूम कर दिल के नगाड़े को बजाना चाहिए।

आँसुओं  में ही डुबो कर मारते क्यूँ ख़ुद को हो
जब तलक साँसें चले उड़ कर दिखाना चाहिए।

गर किसी से हो शिकायत मुआफ़ करना सीखलें
भूल कर सारे गिले, दिल में बिठाना चाहिए।

कौन लम्बी उम्र का करता तकाज़ा है यहाँ
ज़िन्दगी का बस मज़ा भरपूर आना चाहिए।

दोष दूजों में न देखें पहले ख़ुद को जांच लें
हो अगर ग़लती हमारी मान लेना चाहिए।

जानते हैं ज़िन्दगी धोका ही देगी जब हमें,
राख के इस ढेर से दिल क्यों लगाना चाहिए-


सुचिता अग्रवाल'सुचिसंदीप'
तिनसुकिया,असम

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