Wednesday, November 6, 2019

मुक्त कविता, 'हिन्दी को सम्मान दो'

हिन्दी दिवस मनाते  जोश में है सब गाते
नाचते और झूमते  भारतवासी देखो।
आज प्रचार करते  कल फिर भूल जाते
वादों की कसौटियों पे खरे ना उतरते।

प्रतिष्ठा बढ़ानी होगी  हिन्दी अपनानी होगी
बाजी मारनी ही होगी  नेताजी को देश में।
दूसरों से लिखवाते  भाषण खुद बोलते
हिन्दी दिवस मनाते  दिखावा है देश में।

अंग्रेजी के ठेकेदार देश में भरे गद्दार
हिन्दी का करे प्रचार  बिना किसी भाव से।
अंग्रेजी ही पढ़ते हैं  अंग्रेजी ही पढ़ाते हैं
अंग्रेजी ही बोलते हैं  पूरे मन भाव से।

दो नावों में है सवार  कोई नहीं आर पार
दोगला है व्यवहार  शर्मनाक बात है।
हिन्दी का अधूरा ज्ञान  अंग्रेजी के विद्वान्
पाते हैं वही सम्मान  पत्ते की ये बात है।

हिन्दी में हम सोचेंगे  हिंदी में ही समझेंगे
हिन्दी में हम पढ़ेंगे  लाओ हिन्दी देश में।
रटंत विद्या ना करो  ज्ञान का प्रचार करो
मातृभाषा अपनाओ  भारतवासी देश में।

छोड़दो दिखावा सब  सादगी में आओ अब
गौरव मिलेगा जब  अपनों को मान दो।
निज भाषा अपनाओ  पश्चिम का मोह त्यागो
स्वदेशी को अपनाओ  हिन्दी को सम्मान दो।।

सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप"
तिनसुकिया

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