त्याग प्रेम से सींचिये, फले फुले परिवार।
स्वार्थ भेद सब छोड़िये, रहे सुखी संसार।।
आस न दूजे की करो, आप करो सत्कार।
दुख में साथ निभाइये, श्रेष्ठ वही परिवार।।
बालक देवर जेठ के, पाये हमसे प्यार।
भेदभाव निपजे नहीं, संयुक्तम परिवार।।
आपस के मतभेद का, खुद करलो उपचार।
दीमक से रखना सदा, दूर सुखी परिवार।।
मीठी वाणी बोलकर, जीतो सबसे प्यार।
कड़वाहट ही तोड़ता,याद रखो परिवार।।
भला देश का कीजिये, नेक बने संसार,
खुद के भीतर झाँकिये, जीवन का ये सार।।
निंदा कभी न कीजिये, टूटेंगे परिवार।
'शुचि' मन निर्मल राखिये, करो नेक व्यवहार।।
सुचिसंदीप 'सुचिता अग्रवाल'
तिनसुकिया, असम
स्वार्थ भेद सब छोड़िये, रहे सुखी संसार।।
आस न दूजे की करो, आप करो सत्कार।
दुख में साथ निभाइये, श्रेष्ठ वही परिवार।।
बालक देवर जेठ के, पाये हमसे प्यार।
भेदभाव निपजे नहीं, संयुक्तम परिवार।।
आपस के मतभेद का, खुद करलो उपचार।
दीमक से रखना सदा, दूर सुखी परिवार।।
मीठी वाणी बोलकर, जीतो सबसे प्यार।
कड़वाहट ही तोड़ता,याद रखो परिवार।।
भला देश का कीजिये, नेक बने संसार,
खुद के भीतर झाँकिये, जीवन का ये सार।।
निंदा कभी न कीजिये, टूटेंगे परिवार।
'शुचि' मन निर्मल राखिये, करो नेक व्यवहार।।
सुचिसंदीप 'सुचिता अग्रवाल'
तिनसुकिया, असम
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