Tuesday, April 19, 2022

मुक्तक, बिहू


कपौ फूल गजरे में शोभित,

मुख सुंदर मनमीत।

बिहू नृत्य कर झूम रहे सब,

सुमधुर गाकर गीत।

पर्व अनूठा असम प्रान्त का, 

प्रेम मधुर बरसाय,

बिहू पर्व में देखी हमने,

मन पर मन की जीत।।

शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

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