Thursday, March 21, 2024

मणिमध्या छंद 'नैतिक शिक्षा'

 

मणिमध्या छंद

'नैतिक शिक्षा'


जीवन में सत्मार्ग चुनो।

नैतिकता की बात सुनो।।

जो सच राहों पे चलते।

स्वप्न उन्ही के हैं फलते।।


केवल पैसों के बल से।

जीत न पायेंगे छल से।।

स्वार्थ भरी चालें चलना।

है अपने को ही छलना।।


रावण ने सीता हरली।

निष्ठुरता सारी करली।।

अंत बड़ा था कष्ट भरा।

दम्भ मिटा, लंकेश मरा।।


राम जहाँ है जीत वहाँ।

त्याग करो तो मीत वहाँ।।

चाह हमेशा नेक रहे।

धर्म सभी ये बात कहे।।


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मणिमध्या छंद विधान-


मणिमध्या मापनीयुक्त वर्णिक छंद है। इसमें 9 वर्ण होते हैं।

इसका मात्राविन्यास निम्न है-


211 222 112


इस छंद में चार चरण होते हैं। दो-दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं।


'भामस प्यारे तीन रखें।

तो मणिमध्या आप चखें'।।

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शुचिता अग्रवाल ' शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

Monday, January 8, 2024

हीर छंद "माँ"

 हीर छंद

  "माँ"


माँ प्यारी, जग न्यारी, उजियारी धूप है।

राम वही, श्याम वही, ईश्वर का रूप है।।

चार धाम, अष्ठ याम, अर्चनीय मात है।

शौर्य कथा, नार व्यथा, भोर वही रात है।।


कालजयी, काव्यमयी, मधुरिम वो पद्य है।

गूढ़ भरा, नित्य हरा, सार ग्रन्थ गद्य है।।

आशा है, भाषा है, शब्दों का ज्ञान माँ।

है संस्कृति, संप्रतीति, ब्रह्मा का मान माँ।।


मातृ शक्ति, पूर्ण भक्ति, आस्था का बीज वो।

उत्साही, परिवाही, सावन की तीज वो।।

प्रेममयी, जगन्मयी, रिश्तों की डोर है।

सागर है, गागर है, मध्य वही छोर है।।


तीर वही, धीर वही, ठोस तरल हेम है।

दृष्टि जहाँ, सृष्टि वहाँ, व्याप्त सकल प्रेम है।

मुस्काते, लहराते, आँचल की छाँव में।

व्यस्त रहूँ, मस्त रहूँ, माँ के ही ठाँव में।।


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हीर छंद विधान-


हीर छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।

यह 6, 6, 6 5 के तीन यति खंडों में विभक्त रहती है।  दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं। इस छंद का अन्य नाम हीरक भी है।

अन्तर्यति तुकांतता से रचना का माधुर्य बढ़ जाता है वैसे छंद प्रभाकर के अनुसार इसकी बाध्यता नहीं है।


इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

S22, 222, 222 S1S

6 + 6 + 11= 23 मात्राएँ


चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु आदि गुरु एवं अंत 212 (रगण) अनिवार्य है।


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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

Saturday, December 23, 2023

शार्दूलविक्रीडित छंद 'माँ लक्ष्मी वंदना'

 शार्दूलविक्रीडित छंद

 'माँ लक्ष्मी वंदना'


सारी सृष्टि सदा सुवासित करे, देती तुम्ही भव्यता।

लक्ष्मी हे कमलासना जगत में, तेरी बड़ी दिव्यता।।

पाते वो धन सम्पदा सहज ही, ध्यावे तुम्हे जो सदा।

आकांक्षा मन की सभी फलित हो, जो भक्त पूजे यदा।।


तेरा ही वरदान प्राप्त करके, सम्पन्न होते सभी।

झोली तू भरती सदैव धन से, खाली न होती कभी।।

भक्तों को रखती सदा शरण में, ऐश्वर्य से पालती।

देती वैभव, मान और क्षमता, संताप को टालती।।


हीरे का अति दिव्य ताज सर पे, आभा बड़ी सोहनी।

चाँदी की चुनड़ी चमाक चमके, माँ तू लगे मोहनी।।

सोने की तगड़ी सजी कमर पे, मोती जड़े केश है।

माता तू धनवान एक जग में, मोहे सदा वेश है।।


हे लक्ष्मी हरिवल्लभी नमन है, तेरी करूँ आरती।

तेरा ही गुणगान नित्य करती, मातेश्वरी भारती।।

सेवा, त्याग, परोपकार वर दो, संसार से तार माँ।

श्रद्धा से शुचि भक्ति नित्य करती, नैया करो पार माँ।।

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शार्दूलविक्रीडित छंद विधान-

शार्दूलविक्रीडित छंद चार पदों की वर्णिक छंद है। प्रत्येक पद में 19 वर्ण होते हैं। 12 और 7 वर्णों के बाद यति होती है।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

222 112 121 112/ 221 221 2

बहुत ही मनोहारी श्लोक जैसे- आदौ राम तपो, या कुन्देन्दु तुषार हार, कस्तूरी तिलकम आदि की रचना इसी छंद में की गई है।

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

Saturday, November 25, 2023

संत छंद 'निश्चय"

 संत छंद

  'निश्चय"


हुई भोर नयी, आओ स्वागत करलें।

चलो साथ बढ़ें, नव ऊर्जा हिय भरलें।।

खिली धूप धवल, कहाँ तिमिर अब गहरा।

रुचिर पुष्प खिले, बाग रहा है लहरा।।


करें कार्य वही, जिससे निज मन सरसे।

बनें निपुण सदा, उत्सुकता हिय बरसे।।

नया जोश जगा, नव राहें हम गढलें।

प्रबल भाव भरें, प्रगति शिखर पर चढ़ लें।।


सदा धैर्य रखें, धार शांति निज मन में।

रहें सदा सजग, ढूँढें गुण हर जन में।।

अटल होय बढ़ें, निडर बनें, हम दमकें।

बढ़े कार्य लगन, शौर्य भाव रख चमकें।।


उच्च भाव रहे, ऊँचे देखें सपने।

अडिग खड़े रहें, हम जीवन में तपने।।

सुगम पंथ चुनें, निश्चय भाव प्रबल हों।

चलो साथ चलें, निष्ठा अजय सबल हों।।


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संत छंद विधान-


संत छंद 21 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।

यह 9 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है।  दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।


इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

3 6, 6 6


छक्कल की संभावित संभावनाएं-

(3+3 या 4+2 या 2+4) हो सकते हैं।


चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु अंत में  112 (सगण) अनिवार्य है। 

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

Friday, November 24, 2023

मुक्तक, माँ

 "पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि"

कोई प्यारा जब दुनिया को, छोड़ अचानक जाता है।

टीस हृदय में रह रह उठती, याद वही बस आता है।

कैसे भूलूँ उन लम्हों को, साथ बिताये जो हमने,

तुमको खोना हद से ज्यादा, यार मुझे तड़पाता है।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


मुक्तक, माँ'

 पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

माँ तेरी सूरत आँखों से, ओझल हो ना पाती है।

नहीं एक दिन ऐसा जिस दिन, याद न तेरी आती है।

तीन बरस यूँ बीते तुम बिन, जैसे सदियाँ बीत गयी,

मेरी भीगी आँखों को भी, याद तुम्हारी भाती है।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

मुक्तक ' माँ'

 पुण्यतिथि पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि


जब कोई तस्वीर पुरानी, हाथ मेरे लग जाती है।

माँ तेरी सूरत सुंदर सी, हँसकर मुझे लुभाती है।

सुख-दुख का कुछ मिला जुला सा, असर हृदय में जब होता।

चुपके से मेरा मन फिर से, आँचल में तेरे खोता।

मेरे बालों को उँगली से, जैसे तुम सहलाती हो।

सच पूछो तो माँ तुम मुझको, याद बहुत ही आती हो।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

  

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