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शुद्ध गीता छंद, "गंगा घाट"
शुद्ध गीता छंद- "गंगा घाट" घाट गंगा का निहारूँ, देखकर मैं आर पार। पुण्य सलिला, श्वेतवर्णा, जगमगाती स्वच्छ धार।। चमचमाती रेणुका क...
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नीरस सूखे से जीवन में, प्रेम पुष्प महकाता है। अंतर्मन के मंदिर में जो,मूरत बन बस जाता है। एकाकीपन का भय हरले, खोले हृदय जकड़ता है। सु...
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लिपट गये हरि आँचल से अरु, मात यशोमति लाड करे, गिरिधर लाल लगे अति चंचल, ओढनिया निज आड़ धरे। निरखत नागर का मुखमण्डल, जाग उठी ममता मन की, हर...
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अष्टभुजाओं में लिये, गदा धनुष तलवार। आठ दिशाओं से करे, दुष्टों पर माँ वार ।। चक्र लिये दुर्गा बढ़ी, ऊँचा करके भाल। भक्तों की रक्षक बन...
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जो सदा यही कहे कि हौसले बुलंद है, है हजार राह सामने दिवार चंद है। वो रहे सदा सुखी वही बने महान है, सौ करोड़ लोग में दिखे विराट शान है। ...
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(१) गरम नरम आभास सुहाये। तन-मन उससे लिपटा जाये। मिलता पाकर उसको सम्बल। का सखि साजन!ना सखि कम्बल। (२) कभी प्रेम में पागल होते। कभी व...
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ये बेटी नाज है आवाज है अतुलनीय अनिवर्चनीय पवित्र नमाज है। संस्कारों की छवि है। ममतामयी है। घर सजाती अनुपम अथाह प्रेम से। सुच...
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"रास छन्द" रास रचैया,गोकुल वासी, सांवरिया। सखियाँ सारी, हो जाती है, बावरिया।। राधा सुध बुध, खो कर बैठी, मधुबन में। मोहन प्य...
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