Sunday, July 12, 2020

लावणी छंद, प्रेम सगाई

         
 लावणी छंद   "प्रेम-सगाई"
        
(सम्पूर्ण वर्णमाला पर एक अनूठा प्रयास)

असर प्रेम का हुआ हृदय में, आकुलता मन की भायी।
इठलाया मन, सँवरा तन अति, ईद दिवाली ज्यूँ आयी।।
उमर सलोनी अल्हड़पन की, ऊर्मिल चाहत है छाई।
ऋजु मन निरखे आभा पिय की, एकनिष्ठ हो हरषाई।।

ऐसी खुशियाँ पाकर मन भी, ओढ़ ओढ़नी लहराया।
औषध सुखमय जीवन की पा, अंग-अंग अति सरसाया।।
अ: अद्भुत अनुभव प्यारा यह, कलरव सी ध्वनि होती है।
खनखन चूड़ी ज्यूँ मतवाली, गहना हीरे-मोती है।।

घन पानी से भरे हुए ज्यूँ, चन्द्र-चकोरी व्याकुलता।
छटा निराली सावन जैसी, जरा जरा मृदु आकुलता।।
झरे प्रेम की वर्षा रिमझिम, टसक उठी मीठी हिय में।
ठहर गया हो कालचक्र भी, डर अंजाना सा जिय में।।

ढम-ढम बाजे ढोल नगाड़े, तनिक हँसी मन में आती।
थपकी स्वीकृत मौन प्रेम की, दमक नयन में है लाती।।
धड़क रहा हिय स्नेहपात्र पा, नव नूतन जग लगता है।
प्रणय निवेदन सर आँखों पर, फाग प्रेम सा जगता है।।

बन्द करी तस्वीर पिया की, भरी तिजोरी मन की है।
महक उठी सूनी सी बगिया, यही कथा पिय धन की है।।
रहना है अब साथ सदा ही, लगन लगी मन में भारी।
वल्लभ की मैं बनूं वल्लभा, 'शुचि' प्रभु की है आभारी।।

षधा डगर सुखदायक लगती, सकल सृष्टि मन हरषाये।
हृदय हृदय का मधुर मिलन यह, क्षण अतिशय मन को भाये।।
त्रास नहीं,सुख की बेला है, ज्ञात यही बस होता है।
वर्णमाल सी ऋचा है जीवन, भाव भरा मन होता है।।

शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया,आसाम

2 comments:

  1. आप की प्रतिभा अतुलनीय है।आपको सम्मान पूर्वक शुभकामनायें
    जितने भी ब्लॉग देखें उनमे आपकी प्रतिभा और योग्यता का कोई समकक्ष नही।आपका भाषा ज्ञान विस्मित करने वाला है।मैं अत्यंत प्रभावित हूँ।नमन


    यदि आप मुझे फॉलो करें तो मुझे भी हिंदी की सेवा की प्रेरणा मिलती रहेगी।
    आपके फॉलो रुपी आशीष की प्रतीक्षा में।

    ReplyDelete
  2. satish rohatgi
    मेरा ब्लॉग है स्वरांजलि
    ajourneytoheart.blogspot.com

    आपके आशीष की प्रतीक्षा रहेगी

    ReplyDelete

Featured Post

शुद्ध गीता छंद, "गंगा घाट"

 शुद्ध गीता छंद-  "गंगा घाट" घाट गंगा का निहारूँ, देखकर मैं आर पार। पुण्य सलिला, श्वेतवर्णा, जगमगाती स्वच्छ धार।। चमचमाती रेणुका क...