Friday, December 18, 2020

भक्ति, ताटंक छंद

 

कृत्य सभी मंगलदायक हैं,सुख-दुख दिन हो या रैना।

अडिग रहे विश्वास राम पर,भक्ति,भाव ,श्रद्धा देना।


जग निर्माता जग संचालक,तुम तन,मन,धन,वाणी में,

सुक्ष्म चेतना बनकर तुम ही,रहते हो हर प्राणी में।

जग में जिस कारण से भेजा,मुझसे वो करवा लेना।

अडिग रहे विश्वास राम पर,भक्ति,भाव ,श्रद्धा देना।


जग तृष्णा में डूबी हूँ मैं, वक्त अल्प प्रभु को देती,

दुख में बस सुमिरन कर लेती,सुख में नाम कहाँ लेती।

घेर सके ना भाव असूरी, साथ राम सी हो सेना,

अडिग रहे विश्वास राम पर,भक्ति,भाव ,श्रद्धा देना।


मन में पूजा,मन में भक्ति,मन में तेरा हो डेरा,

जो कुछ तुमने दिया वो तेरा,अंश नहीं कुछ भी मेरा।

तेरे चरणों में सद्गति को,पाकर पाऊँ मैं चैना,

अडिग रहे विश्वास राम पर,भक्ति,भाव ,श्रद्धा देना।


स्वरचित

शुचिता अग्रवाल'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


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