Monday, January 3, 2022

कर्ण छंद 'नववर्ष उल्लास'

  कर्ण छंद 

'नववर्ष उल्लास'


नव वर्ष मनाओ झूम, बहादो आज सुखों की नैया।

मन हल्का करके मीत, करो हँस मिलकर ताता-थैया।।

है जीवन के दिन चार, खुशी के पल न गवाँओ भैया।

हो हाथों में बस हाथ, बजाओ फिर 'चल छैया-छैया'।।


कुछ कहदो मन की बात, सुनादूँ मैं कुछ तुमको बातें।

आ वक्त बितायें साथ, बड़ी सबसे यह है सौगातें।।

मिल जाये सारे यार, कटेगी धूम मचाकर रातें।

जो करना चाहो नृत्य, चला उल्टी अरु सीधी लातें।।


हो नशा प्रेम का आज, लड़ाई आपस की हम छोड़ें।

कुछ भूले बिसरे यार, उन्हें हम जीवन में फिर जोड़ें।।

आ लगो गले से आज, मिटादें आपस की ये दूरी।

मन से मन का हो मेल, दिलों की चाहत करलें पूरी।।


कल नया साल आरंभ, पुराना आज बिदाई लेगा।

दुख साथ लिये वो जाय, खुशी के नव अवसर यह देगा।।

शुभ स्वागत नवल प्रभात, बधाई गीत सभी मिल गायें।

सब हँसलें मिलकर साथ, करें कोशिश सबको हरषायें।।

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कर्ण छंद विधान -


कर्ण छंद 30 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। चार पदों के इस छंद में चारों  या दो दो पद समतुकांत होते हैं। 


इसका मात्रा विन्यास निम्न है-


2 2222 21, 12221 122 22 (SS)

13+17 = 30 मात्रा।


अठकल में (4+4 या  3+3+2 दोनों हो सकते हैं।)


चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।


अंत में दो गुरु का होना अनिवार्य है।

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

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