Sunday, February 6, 2022

धारा छंद 'तिरंगा'

 धारा छंद

 'तिरंगा'


लहर-लहर लहराता जाय, झंडा भारत का प्यारा।

अद्भुत लगती इसकी शान, फहराता दिखता न्यारा।।

शौर्य वीरता की पहचान, आजादी का द्योतक है।

भारत माँ का है यह भाल, दुश्मन का अवरोधक है।।


तीन रंग में वर्णित गूढ़, ध्वज परिभाषित करता है।

भारत की गरिमा का सार, यह रंगों में भरता है।।

केशरिया वीरों के गीत, उल्लासित होकर गाता।

शौर्य, शक्ति, साहस, उत्सर्ग, जन अंतस में भर जाता।।


श्वेत वर्ण सिखलाता प्रेम, सत्य, अहिंसा, मानवता।

देता जग को यह संदेश, छोड़ो मन की दानवता।।

हरा रंग खुशहाली रूप, भारत का दिखलाता है।

रिद्धि-सिद्धि के प्रेरक मंत्र, लहरा कर सिखलाता है।।


नीला चक्र सुशासन, न्याय, कर्म शक्ति की शुचि छाया।

नव विकास को है गतिशील, ध्वज पर रवि बन लहराया।।

निज गौरव, परिचय, अभिमान, मिला तिरंगे से हमको।

शीश झुकाकर करें प्रणाम, सब भारतवासी तुमको।।

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धारा छंद विधान-


धारा छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। चार पदों के इस छंद में दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।


इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

अठकल + छक्कल + लघु, अठकल + छक्कल(S)

2222 2221, 2222 222 (S)


अठकल में (4+4 या  3+3+2 दोनों हो सकते हैं।

छक्कल (3+3 या 4+2 या 2+4) हो सकते हैं।


अंत में एक गुरु का होना अनिवार्य है।

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

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