तोमर छंद
'सुशिक्षा'
अपनायें नवल जोश।
रखना है हमें होश।।
आडम्बर बुरी बात।
सदियों तक करे घात।।
कठपुतली बने लोग।
भूल जीवन उपयोग।।
अंधों की दौड़ छोड़।
लो अपनी राह मोड़।।
ज्ञान की आंखें खोल।
सत्य का समझो मोल।।
कौन सच झूठा कौन।
बैठ मत अब तू मौन।।
जीवन में सदाचार।
मानव तुम रखो धार।।
सत्कर्म करना धर्म।
लो समझ सीधा मर्म।।
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तोमर छंद विधान –
तोमर छंद 12 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है। इसकी मात्रा विन्यास निम्न है-
द्विकल-सप्तकल-3 (केवल 21)
(द्विकल में 2 या 11 मान्य तथा सप्तकल का 1222, 2122, 2212,2221 में से कोई भी रूप हो सकता है।)
अंत ताल (21) से आवश्यक होता है।
चार चरण। दो दो समतुकांत।
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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आपका
Deleteवाह ! ओजस्वी । और छंद ज्ञान भी । धन्यवाद । अभिनंदन । असम से आई पुरवैया!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!छन्द में अपना हाथ तंग है पर अच्छा लगता है,आप जैसे गुणीजनों की छ्न्दयुक्त रचना पढ़कर। तोमर छन्द में बंधी ये सदाचार नियमावली बहुत सुन्दर और भावपूर्णहै।हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteवाह!क्या बात है ..शानदार सृजन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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