बिहारी छंद
"प्रेम भाव"
मैं प्रेम भरे गीत सजन, आज सुनाऊँ।
उद्गार सभी झूम रहे, शब्द सजाऊँ।।
मैं चाह रही प्रीत भरा, कोश लुटाना।
संसार लगे आज मुझे, सौम्य सुहाना।।
रमणीक लगे बाग हरे, खेत लहकते।
घन घूम रहे मस्त हुए, फूल महकते।।
हर ओर प्रकृति झूम करे, नृत्य निराला।
सब अंध हुआ दूर गया, फैल उजाला।
जब आस भरे नैन विकल, रुदन करेंगे।
सिंदूर लिये हाथ सजन, माँग भरेंगे।।
मैं प्रेम भरे रंग भरूँ, विरह अगन में।
इठलाय रही नाच रही, आज लगन में।।
उम्मीद भरे भाव सुमन, खूब खिले हैं।
संकल्प तथा लक्ष्य भरे, पंख मिले हैं।।
उल्लास भरी राग मधुर, खास बजाऊँ।
अरमान भरी सेज सजन, नित्य सजाऊँ।।
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बिहारी छंद विधान –
यह (2211 2211 2, 21 122) मापनी पर आधारित 22 मात्रा का मात्रिक छंद है। चूंकि यह एक मात्रिक छंद है अतः गुरु (2) वर्ण को दो लघु (11) में तोड़ने की छूट है। दो दो चरण समतुकांत होने चाहिए।
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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
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