Wednesday, September 8, 2021

शास्त्र छंद "सदाचार"

 शास्त्र छंद 

"सदाचार"


सदा मन में यही रख लें सभी धार।

न जीवन में कभी त्यज दें सदाचार।।

रहे आधार जीवन का सदा नेक।

रखें बस भावना हरदम यही एक।।


चलें अध्यात्म के पथ पर यही चाह।

अहिंसा की सदा चुननी हमें राह।।

भलाई के लिये हरदम बढ़े हाथ।

जरूरतमंद का देना हमें साथ।।


बुरी आदत न मदिरा पान की डाल

जहाँ दिखती बुराई हों उसे टाल।।

जड़ें छल क्रोध की काटें यही ठान।

करें सत्कर्म के हरदम अनुष्ठान।।


बड़ों का मान रख उनकी सुनें बात।

सदा आशीष लें उनसे न कर घात।।

बहाएं प्रेम की शुचिता सभी ओर।

रखें सद् आचरण पर हम सदा जोर।।

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शास्त्र छंद विधान -


शास्त्र छंद 1222 1222 1221 मापनी पर आधारित 20 मात्रा प्रति चरण का मात्रिक छंद है। चूंकि यह एक मात्रिक छंद है अतः गुरु (2) वर्ण को दो लघु (11) में तोड़ने की छूट है। इस छंद में 1,8,15,20 वीं मात्राएँ सदैव लघु होती हैं lदो दो चरण समतुकांत होने चाहिए।

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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


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