'पंचिक'
परिभाषा फुफे की क्या हँस पूछा जीजा ने।
हँसी में कही ये बात गाँठ बाँधी फूफा ने,
भूत रूप जीजे का फूफा,
भूली बिसरी यादों सा,
जैसे चिल्ले को सब भूले ले ली जगह पिज्जा ने।
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पंचिक विधान-
पंचिक की पंक्तियाँ किसी भी मात्रिक या वर्णिक विन्यास में बँधी हुई नहीं होती है। फिर भी लयकारी की प्रमुखता है। पंक्तियों के वाचन में एक प्रवाह होना चाहिए। यह लय, गति ही इसे कविता का स्वरूप देती है।
पंक्ति संख्या 1, 2, 5 में प्रति पंक्ति 14 से 18 तक वर्ण रख सकते हैं। यह ध्यान रहे कि लय रहे। 14 वर्ण हो तो गुरु वर्ण के शब्द अधिक रखें, 18 वर्ण हो तो लघु वर्ण के शब्द अधिक प्रयोग करें। इससे मात्राएँ समान होकर लय सधी रहेगी। पंक्ति संख्या 3 और 4 में प्रति पंक्ति 7 से 13 वर्ण तक रख सकते हैं।
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शुचिता अग्रवाल'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
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