ब्रह्मपुत्र की गोद में,बसा हुआ आसाम।
प्रथम किरण रवि की पड़े,वो कामाख्या धाम।।
हरे-हरे बागान से,उन्नति करे प्रदेश।
खिला प्रकृति सौंदर्य से,आसामी परिवेश।।
धरती शंकरदेव की,लाचित का ये देश।
कनकलता की वीरता,ऐसा असम प्रदेश।।
ऐरी मूंगा पाट का,होता है उद्योग।
सबसे उत्तम चाय का,बना हुआ संयोग।।
हरित घने बागान में,कोमल-कोमल हाथ।
तोड़ रहीं नवयौवना,मिलकर पत्ते साथ।।
हिमा दास ने रच दिया,एक नया इतिहास।
विश्व विजयिता धाविका,बनी हिन्द की आस।।
#स्वरचित#मौलिक
सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, आसाम
Suchisandeep2010@gmail.com
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