दुल्हे राजा सजधज घोड़ी पर आये,
दुल्हन तिरछी नजरें कर क्यूँ शरमाये।
तोरण मार करे प्रवेश बड़े भागी,
गल वरमाला की आभा हिय में जागी।
नाच रहे बाराती घोड़ी के आगे,
भाई-बन्धु,चाचा-मामा जो लागे।
मंगलगान खुशी से बहनें सब गाये,
समधी-समधन देखो कितना हरषाये।
दुल्हे राजा सजधज घोड़ी पर आये,
दुल्हन तिरछी नजरें कर क्यूँ शरमाये।
फूलों की बरसात गगन से होती है,
भीगी आँखों के आँसू सब मोती है।
प्यारी साली नजर उतारण आयी है,
भाभी काजल नीमझड़ी झड़कायी है।
लाख दुआओं की सौगातें सब लाये,
मंगल सारे काज खुशी वर-वधु पाये
दुल्हे राजा सजधज घोड़ी पर आये,
दुल्हन तिरछी नजरें कर क्यूँ शरमाये।
#स्वरचित
डॉ.शुचिता अग्रवाल, 'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, आसाम
(विधान-22 22 22 22 22 2)
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