बेग़म बोली शौहर से मत निकलो बेनकाब घर से,
दो गज की दूरी में रहना वधु बोली अपने वर से।
महिलाएं आदी सदियों से,पुरुषों को अब सिखा रही,
भेदभाव सारे ही टूटे, कोरोना के ही डर से।
डॉ.शुचिता अग्रवाल'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
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शुद्ध गीता छंद- "गंगा घाट" घाट गंगा का निहारूँ, देखकर मैं आर पार। पुण्य सलिला, श्वेतवर्णा, जगमगाती स्वच्छ धार।। चमचमाती रेणुका क...
बहुत सुंदर!!!
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