Wednesday, April 28, 2021

लावणी छंद,हास्य मुक्तक"

बेग़म बोली शौहर से मत निकलो बेनकाब घर से,

दो गज की दूरी में रहना वधु बोली अपने वर से।

महिलाएं आदी सदियों से,पुरुषों को अब सिखा रही,

भेदभाव सारे ही टूटे, कोरोना के ही डर से।


डॉ.शुचिता अग्रवाल'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम

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