Tuesday, October 19, 2021

मालिक छंद "राधा रानी"

 मालिक छंद

 "राधा रानी"


चंद्र चाँदनी, मुदित मोहिनी राधा।

बिना तुम्हारे श्याम सदा ही आधा।।

युगल रूप में तुम मोहन की छाया।

एकाकार हुई लगती दो काया।।


वेणु रूप में तुम जब शोभित होती।

श्याम अधर रसपान अमिय में खोती।।

दृश्य अलौकिक रसिक भक्त ये पीते।

भाव भक्ति में सुध बुध खो वे जीते।।


वृंदावन की हो तुम वृंदा रानी।

जहाँ श्याम ने रहने की नित ठानी।। 

सुमन सेज सुखदायक नित बिछ जाती।

निधिवन में जब श्याम सलोनी आती।।


रमा, राधिका, रुकमिण तुम ही सीता।

प्रेम भाव से हरि को हरदम जीता।।

है वृषभानु सुता का वैभव न्यारा।

राधा नाम तुम्हारा शुचि अति प्यारा।।

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मालिक छंद विधान-


मालिक छंद एक सम मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 20 मात्रा रहती हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

अठकल + अठकल + गुरु गुरु = 8, 8, 2, 2 = 20 मात्रा।

(अठकल में 4+4 या  3+3+2 दोनों हो सकते हैं।)

चरणान्त गुरु-गुरु(SS) अनिवार्य है।


दो-दो  या चारों चरण समतुकांत होते हैं।


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शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया, असम


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