Wednesday, October 30, 2019

मुक्तक, रिश्तों पर आधारित

सागर में अनमोल खजाना,जैसे होते मोती हैं,
जीवन संचालित जिससे है,वो तो प्रीत की ज्योति है।
जग के निर्माता ने जिसके,जी भर प्रीत भरी लहु में,
वो हर घर की बिटिया प्यारी,डोर जगत की होती है।

डॉ.सुचिता अग्रवाल 'सुचिसंदीप

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