"विधाता छन्द आधारित"
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
प्रिया,सोनल,सिया,कोमल,सुहानी ऑनलाइन है।
नहीं सोते,नहीं खोते,मजे से जिंदगी जीते।
बनाते रात को मैगी,गरम कॉफी है हम पीते।
करें उठकर क्या जल्दी हम,ये लाइफ यूँ ही फाइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों में शाइन है।
कहाँ दुनिया में क्या होता,सभी अपडेट रहते हैं।
ये लीवइन का जमाना है,नहीं ब्रेकिंग से डरते हैं।
हटाया आज दिल से तो,किसी की कल ही ज्योइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
सुनी ये बात बाबा से,सपन सुबह के सच होते।
पूरे दिन देखते सपने,हकीकत में वो टच होते।
हुए हुक्के के दीवाने,बला का स्वैग वाइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
अगर ठानें कि जाना है,तो रातों को निकल जाते।
बदलते इस जमाने की,रिवाजों को निभा आते।
कहेगा कौन,क्या,कैसे,जिये लाइफ वो माइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
#सर्वाधिकार सुरक्षित
#स्वरचित
सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम
Suchisandeep2010@gmail.com
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
प्रिया,सोनल,सिया,कोमल,सुहानी ऑनलाइन है।
नहीं सोते,नहीं खोते,मजे से जिंदगी जीते।
बनाते रात को मैगी,गरम कॉफी है हम पीते।
करें उठकर क्या जल्दी हम,ये लाइफ यूँ ही फाइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों में शाइन है।
कहाँ दुनिया में क्या होता,सभी अपडेट रहते हैं।
ये लीवइन का जमाना है,नहीं ब्रेकिंग से डरते हैं।
हटाया आज दिल से तो,किसी की कल ही ज्योइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
सुनी ये बात बाबा से,सपन सुबह के सच होते।
पूरे दिन देखते सपने,हकीकत में वो टच होते।
हुए हुक्के के दीवाने,बला का स्वैग वाइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
अगर ठानें कि जाना है,तो रातों को निकल जाते।
बदलते इस जमाने की,रिवाजों को निभा आते।
कहेगा कौन,क्या,कैसे,जिये लाइफ वो माइन है।
बजे हैं रात के ढाई,मगर आँखों मे शाइन है।
#सर्वाधिकार सुरक्षित
#स्वरचित
सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम
Suchisandeep2010@gmail.com
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