Saturday, August 10, 2019

चौपाई छन्द, भावों की पूजा

सदा स्नेह बरसाने वाला। हरि हम सबका है रखवाला।।
एक कदम तुम आगे आओ। सदा निकट हरि को तुम पाओ।।

राम मिलेंगे मन से ध्याओ। भावों की पूजा अपनाओ।।
सेवा से बढ़कर नहि दूजा। हरि की उत्तम है यह पूजा।।

नित नव ढोंग रचाते देखा। सच का रूप लजाते देखा।।
भाँति भाँति के भोग लगाते।भूखे को तुम मार भगाते।।

भूखा बच्चा यहाँ बिलखता।दूध, दही नालों में बहता।।
तन ढकने को वस्त्र न पाए।निर्धन अबला यहाँ लजाये।।

मंदिर में नित बदले गहना।निर्धन भारत का क्या कहना।।
भेड़ चाल चलना छोड़ो अब।बुद्धि विवेकी राह चलो सब।।

बनी स्वार्थ से राहें जग में।पड़ी बेड़ियाँ लाखो पग में।।
सबको नेक राह हम देंगे।कूटनीति का अंत करेंगे।।

मानवता ही धर्म हमारा।रखो एक बस अपना नारा।।
प्रेम रूप ही धारण करना।झूठ कपट छल से तुम डरना।।

सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम
Suchisandeep2010@gmail.com

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