Thursday, August 8, 2019

गीत,कण कण केशरिया

कण-कण केशरिया मिट्टी का दिखता है।
जश्न वतन में आजादी का दिखता है।

था विश्वास कभी तो जनता जागेगी।
स्वार्थ और लोलुपता सत्ता त्यागेगी।
राष्ट्र प्रेम जन जन में अब तो दिखता है
कण-कण केशरिया मिट्टी का दिखता है।

फिर इक बार वही सत्ता में आये हैं।
खुशहाली की धाराएं जो लाये हैं।
देश से बढकर जिनको कुछ ना दिखता है।
कण-कण केशरिया मिट्टी का दिखता है।

कथनी करनी एक बना जो जीते हैं।
वादे पूरे करने का दम भरते हैं।
काश्मीर अपना सा अब तो दिखता है
कण-कण केशरिया मिट्टी का दिखता है।

एक है भारत एक तिरंगा फहराएं
जोश से जन गण मन भारतवासी गाएं
चंद्रयान सूरज सा दमकता दिखता है
कण कण केशरिया मिट्टी का दिखता है।

"शुचिता"भारत की अक्षुण्य रखेंगे हम
चमकेगा अब देश मिटायेंगे अब तम
जगत गुरु भारत कहलाता दिखता है।
कण-कण केशरिया मिट्टी का दिखता है।


#स्वरचित#मौलिक
सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम

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