Wednesday, August 21, 2019

मुक्त कविता,"नारी सौंदर्य-वरदान या अभिशाप"

विधाता की कल्पनाशक्ति
शिल्पियों की कलाकृति
साहित्य और कवि की स्तुति
प्रेम का प्रेरणा स्त्रोत
नारी सौंदर्य
ईश्वर प्रदत्त वरदान है।

सृष्टि की जननी
ममता की देवी रमणी
सहनशीलता का प्रतीक
नारी सौंदर्य
स्वार्थी, लोलुप, विवेकहीन
पुरुष प्रदत्त अभिशाप है।

है मानव मन की विडंबना
सुप्रयास से सफलता न हो तो
दुष्प्रयासों की सेना साथ है
प्रेरित होकर अपराध कथाओं से
अपहरण , बलात्कार फिर हत्या
पुरुष के लिए मामूली सी बात है।

सौंदर्य बोध नारी को जिसने कराया
कभी गले से लगाया
तो कभी पैरों में गिराया
कभी रक्षक तो
कभी भक्षक बना
पुरुष ने ही
नारी सौंदर्य को
वरदान तो कभी
अभिशाप बनाया।।

सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम

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