हिमा दास,'लावणी छन्द'
स्वर्ण पदक की बौछारों से,भारत माता हर्षायी।
ब्रह्मपुत्र की बेटी हिमा,परचम लहराकर आयी।
निर्धन रंजित-जोमाली के,आँगन में जन्मी बेटी।
असम प्रान्त के धींग गाँव की,एक्सप्रेस हिमा बेटी।
धीर,वीर अरु दृढ़ संकल्पी,बनी प्रेरणा जन-जन की।
बेटी हो तो स्वर्ण परी सी,बात सभी के है मन की।
पाँच स्वर्ण पद लगातार ले,रचा नया इतिहास बड़ा।
उड़न परी का पलड़ा सब पर,कितना भारी आज पड़ा।
देती है संदेश लाडली,प्रतिभा से आगे आओ।
रोड़ा निर्धनता न गाँव है,लक्ष्य बनाकर डट जाओ।
कण-कण भारत की मिट्टी का,तुमसे आज विजेता है।
हाथ तिरंगा लेकर दौड़ो,देश बधाई देता है।
शुचिता अग्रवाल,'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
Suchisandeep2010@gmail.com
ब्रह्मपुत्र की बेटी हिमा,परचम लहराकर आयी।
निर्धन रंजित-जोमाली के,आँगन में जन्मी बेटी।
असम प्रान्त के धींग गाँव की,एक्सप्रेस हिमा बेटी।
धीर,वीर अरु दृढ़ संकल्पी,बनी प्रेरणा जन-जन की।
बेटी हो तो स्वर्ण परी सी,बात सभी के है मन की।
पाँच स्वर्ण पद लगातार ले,रचा नया इतिहास बड़ा।
उड़न परी का पलड़ा सब पर,कितना भारी आज पड़ा।
देती है संदेश लाडली,प्रतिभा से आगे आओ।
रोड़ा निर्धनता न गाँव है,लक्ष्य बनाकर डट जाओ।
कण-कण भारत की मिट्टी का,तुमसे आज विजेता है।
हाथ तिरंगा लेकर दौड़ो,देश बधाई देता है।
शुचिता अग्रवाल,'शुचिसंदीप'
तिनसुकिया, असम
Suchisandeep2010@gmail.com
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