Sunday, July 21, 2019

काव्य-मंच

सुखद अनुभूति मत पूछो,बड़ा प्यारा नजारा है।
सभी दिग्गज कविगण है,हर एक श्रोता ही प्यारा है।
लगे यह मंच मन्दिर सा ,पुजारी बन के मैं आयी।
सरल भावों  की माला को, सजा कर सबपे वारा है।।

डॉ.सुचिता अग्रवाल"सुचिसंदीप"
तिनसुकिया, असम

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