Thursday, May 27, 2021

सुर घनाक्षरी, नेताजी

 (विधान -8-8-8-6 वर्ण)

नेताजी ये बड़े-बड़े,

चुनावों में होते खड़े,

रखते छुपाके राज,

मायावी जाल है।


चेहरे पे चेहरा है,

काम सारा दोहरा है,

पीठ पीछे चोरी वाला,

काला ही माल है।


नशे में है सराबोर,

हिंसा पे भी चले जोर,

बात को दबाने हेतु,

खाखी दलाल है।


आँखे खोलो जगो देश,

 बदलो ये परिवेश,

  पाँच साल जनता के,

  नौचते ये बाल हैं ।

डॉ. शुचिता अग्रवाल,"शुचिसंदीप"

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