Thursday, May 27, 2021

ताटंक छन्द मुक्तक,पृथ्वी

जल फल नग पशु जीव कली खग,

पृथ्वी सबकी माता है।

बोझ अकेले सबका सहकर,

पालन करना भाता है।

मर्यादा की सीमा मानव,

प्रतिपल तुमने लाँघी है।

अपना क्या अस्तित्व धरा बिन,

समझ नहीं क्यूँ आता है।


डॉ.शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप

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