Thursday, May 27, 2021

मुक्त कविता, दोस्त

 मन में खयाल आते ही जिनका,

होठों पर मुस्कान आ जाती है।

छोड़ गई जो उम्र हमें,

पल भर में फिर लौट आती है।

बचपन बिन सहारे उनके

दो कदम नहीं चल सकता ।

अटूट रिश्तों का सागर ये,

किसी मोड़ पर नहीं रुकता।

   दोस्त थे तो बचपन था......

   दोस्त है तो जवानी है......

   दोस्त रहेंगे तो.....बुढापा आ ही नहीं सकता।


डॉ.शुचिता अग्रवाल"शुचिसंदीप"


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