Wednesday, May 12, 2021

हास्य,सेल्फी

आगे सेल्फी, पीछे सेल्फी, ऊपर -नीचे दाएँ-बाएँ सेल्फी।

क्या जवान क्या बच्चे भाई, दादी-दादा अब लेते सेल्फी।


स्टूडियो की छुट्टी हो गयी, मोबाइल कैमरा जबसे आया।

खींचने वाले की जरूरत नहीं, सेल्फ डिपेंड का जमाना आया।


बँदरिया सा मुह बनाकर कुछ पाउट पाउट कहती है।

जीभ निकाले फिर आँख चढ़ाकर सेल्फी वो ले लेती है।


बक बक बीवी की नहीं सुननी है, 

सेल्फी का मजा देखो।

पल में गुस्से को छोड़ है देती, बीवी की अब हँसी देखो।


दादाजी की अंतिम साँसे, पर सेल्फी तो एक बनती है।

सैड इमोजी साथ स्टेटस अपलोड फेसबुक पर होती है।


दुर्घटनास्थल पर भी अब तो, डाक्टर से पहले सेल्फी लो।

चँद मिनटों में कमैंट्स और लाइक कितने आये ये गिनलो।


खाना-पीना, मंजन -नहाना और क्या क्या बतलाऊँ।

ये सेल्फी का बुखार दिमाग से कैसे सबका उतरवाऊँ।


नदियों, छतों और ट्रेनों पर भी इतना क्यूँ हो झुक जाते।

सेल्फी लेते लेते अपनी तस्वीर को माला क्यूँ पहना जाते।।


शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

तिनसुकिया,असम


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