Wednesday, May 26, 2021

कुण्डलिया, गीता

गीता प्राणी मात्र को,देती है संदेश,

द्वार खुले मन के सभी,जो सुनते उपदेश।

जो सुनते उपदेश,जीव सन्मार्ग समझते,

सांसारिक सुख भोग,सकल पापों से बचते।

समझा जिसने गूढ़,प्रेममय जीवन बिता,

सत चित अरु आनंद,मार्ग दिखलाती गीता।


डॉ.शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"

तिनसुकिया, असम

1 comment:

  1. गीता की गुरुता और आध्यात्मिक प्रभुता का गुणानुवाद जिस भाॅति आपने किया है,निश्चित ही स्तुत्य है।
    बहुत बहुत बधाई आपको।लेखनी को नमन।

    डाॅ.श्री निवास शुक्ल 'सरस'
    सीधी,मध्यप्रदेश

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